केंद्र सरकार द्वारा 500 व 1,000 रुपए के नोट अवैध घोषित किए जाने को 12 दिन से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। लेकिन अभी तक देश के 202,000 एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) में से सिर्फ 22,500 ही नए नोट देने के लिए तैयार किए जा सके हैं। एटीएम को री-कैलिबरेट करने की धीमी रफ्तार ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मगर इसके पीछे असल दिक्कत कुछ और है। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मशीनों में नए पार्ट लगाए जाने हैं, जिनकी कमी के चलते दिक्कत आ रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘चीन से खरीद कर पार्ट्स भारत लाए जा रहे हैं।’ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि, ”मैग्नेटिक युक्ति और हार्डवेयर, जिसे मैग्नेटिक स्पेसर और वेज के नाम से जाना जाता है, स्टॉक में नहीं है। एक बार हमारे पास सप्लाई आ जाएगी तो सभी एटीएम शुरू करने में एक हफ्ते से ज्यादा समय नहीं लगेगा।” हालांकि सभी मशीनों को इन पार्ट्स की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ”पर्याप्त सप्लाई लगातार आ रही है और उसे इंस्टॉल किया जा रहा है। इससे समस्या नहीं होगी।” वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कुछ बैंकों ने सरकार को बताया है कि हालात संभाले जा सकते हैं। अधिकारी ने कहा, ”यह बड़ी समस्या नहीं है और बैंक सप्लाई दे रहे हैं।” पुराने नोटों के बंद होने के बाद अभी तक री-प्रोग्राम न हो पाए एटीएम सिर्फ 100 (या 50) रुपए के नोट्स ही दे सकते हैं, इसलिए वे तेजी से खाली हो रहे हैं।
एक बैंकर ने ईटी को बताया कि पार्ट्स पाने और डिस्पेंसर्स में जरूरी बदलाव करने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा, ”हमारा लक्ष्य अगले एक सप्ताह में कम से कम 50,000 मशीनें चलाने का है। अगर वे 24×7 काम करती हैं तो हम इस समस्या से निपट लेंगे।” एटीएम को करेंसी नोट्स का वजन करना पड़ता है। अधिकारी ने कहा, ”वजन के हिसाब से ही, एटीएम पैसे देता है। अगर वह वजन नहीं कर पाएगा तो काम नहीं करेगा।”
नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ दिनों में यह समस्या दूर हो जानी चाहिए। स्वदेशी RuPay कार्ड का पेमेंट गेटवे अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ”हमने 35 लाख ट्रांजेक्शन किए हैं, जिनमें से 25 लाख एटीएम में किए गए हैं और करीब छह लाख विभिन्न प्वाइंट ऑफ सेल मशीनों के जरिए भुगतान किया गया है।”
कुछ बैंकर्स ने कहा है कि परेशानी दूर करने क लिए एटीएम रि-कैलिबरेशन की प्रक्रिया को और तेज किया जाना चाहिए। एक ने कहा, ”ग्रामीण इलाकों में यह परेशानी ज्यादा होगी क्योंकि वहां की मशीनों को अपडेट करने में ज्यादा समय लगेगा।”