टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री ने रतन टाटा पर निशाना साधते हुए कहा है कि फैसले लेने की सभी शक्तियां एक ही व्यक्ति या ‘हाई-कमान’ के पास होना अनैतिक, अनुचित और भरोसे को तोड़ना है। समूह की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के निदेशक पद से हटाए जाने का विरोध करते हुए शेयरधारकों से मिस्त्री ने कहा कि टाटा समूह का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि टाटा ट्रस्ट के न्यासी उसका किस प्रकार संचालन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘न्यासियों को उनकी वित्तीय जिम्मदारियों का निर्वाहन करने के लिए मामलों पर अपनी बुद्धि लगाने, प्रश्न करने, परीक्षण, बहस, जांच करने एवं संतुलन करने की जरूरत है। उनमें से एक ही व्यक्ति या हाई कमान के पास निर्णय लेने की सारी शक्तियां होना अनैतिक, अनुचित और भरोसे को तोड़ने वाला है।’ मिस्त्री ने कहा, ‘यह जरूरी है कि ऐसे निर्णय मनमाने ढंग और बिना अधिक विचार किए नहीं लिए जाने चाहिए जिनका गंभीर प्रभाव और नतीजे हो सकते हैं। यह आवश्यक है कि जब न्यासी कोई फैसला लें तो उसमें संतुलन और जांच की मजबूत प्रणाली अपनायी जाए, खासतौर से ऐसे मामलों में जब इन फैसलों से उन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर कोई निजी लाभ होता हो।’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रतन टाटा और टाटा संस के पूर्व उपाध्यक्ष एन. ए. सूनावाला न्यासियों द्वारा नामित निदेशकों को यह बताया करते थे कि किस तरह से टाटा संस को काम करना चाहिए। टाटा संस, टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है। मिस्त्री ने कहा कि उन्होंने कंपनी के गठन के बारे में ज्ञापन (आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन) को इस तरीके से परिभाषित किया था कि वे किसी भी विषय पर बातचीत और जानकारी के लिए बुलावा भेज सकते थे। इन न्यासियों की दृष्टि में टाटा संस का निदेशक मंडल उनके (रतन और सूनावाला) प्रति उत्तरदायी था और न्यासियों द्वारा नामित निदेशकों के माध्यम से वे ना केवल ऐसी जानकारियां प्राप्त करते थे बल्कि यह भी बताया करते थे कि टाटा संस का निदेशक मंडल उस विषय पर कैसे निर्णय ले। मिस्त्री ने कहा कि वह ‘टाटा समूह में खुद की निजी छवि गढ़ने के लिए नहीं आए थे।’ बल्कि वह ‘टाटा समूह को मजबूत और भविष्य की चुनौतियों को सहने के अनुकूल’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध थे। गौरतलब है कि 10 नवंबर को टाटा संस ने मिस्त्री को देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के चेयरमैन पद से भी हटा दिया था। टाटा संस की टीसीएस में 73.26 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
