पिछले महीने खाने वाली चीजों (Food Items) के दाम 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। खाद्य पदार्थों के भाव कई कारकों पर निर्भर करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका क्रूड ऑयल (Crude Oil) से सीधा कनेक्शन होता है? पेट्रोलियम (Petroleum) के भाव बढ़ने के साथ ही चीनी (Sugar) समेत कई अनाजों (Grains) और खाद्य तेलों (Edible Oils) के दाम भी बढ़ने लग जाते हैं।
17 महीने में 46 प्रतिशत बढ़ गए खाने वाली चीजों के दाम
संयुक्तराष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (UN Food and Agriculture Organisation) ने पिछले सप्ताह वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स (FPI) का ताजा संस्करण जारी किया। इसके अनुसार, अक्टूबर में वर्ल्ड एफपीआई 133.2 रहा, जो जुलाई 2011 के बाद का सबसे उच्च स्तर है। हालांकि महज डेढ़ साल पहले यह सूचकांक चार साल के निचले स्तर 91.1 पर आ गया था। मई 2020 के बाद महज 17 महीने में ही खाने वाली चीजों के दाम 46 प्रतिशत से अधिक बढ़ गए।
ऐसे क्रूड के साथ हुई खाद्य पदार्थों के भाव में घट-बढ़
कच्चा तेल की कीमतों पर गौर करें तो यह मई 2020 में 30 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास था, जब खाने वाली चीजों के दाम चार साल के निचले स्तर पर थे। अभी जब अक्टूबर में खाद्य पदार्थों के दाम 10 साल के उच्चतम स्तर पर हैं, तो क्रूड ऑयल 84 डॉलर प्रति बैरल के पार है। इससे पहले जब जुलाई 2011 में खाद्य पदार्थों के दाम रिकॉर्ड स्तर पर थे, तब क्रूड भी सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के पार निकल चुका था।
क्रूड ऑयल और खाने वाली चीजों के बीच है यह कनेक्शन
क्रूड ऑयल और खाने वाली चीजों के बीच यह कनेक्शन बायो फ्यूल (Bio Fuel) के कारण है। जैसे ही पेट्रोलियम के दाम चढ़ते हैं, इथेनॉल (Ethanol) बनाने का काम बढ़ जाता है। पेट्रोल (Petrol) महंगा होते ही दुनिया भर में इसमें इथेनॉल ब्लेंड किया जाने लगता है। इथेनॉल आम तौर पर गन्ना (Sugarcane) और मक्के (Maze) से बनाया जाता है। इससे गन्ने और मक्के की मांग अचानक से इथेनॉल इंडस्ट्री के कारण बढ़ जाता है और इसके साथ ही इनके भाव भी चढ़ जाते हैं।
इन खाद्य तेलों से बनता है बायोडीजल
इसके अलावा पॉम ऑयल (Palm Oil) और सोयाबीन ऑयल (Soyabean Oil) का इस्तेमाल बायोडीजल (Bio Diesel) बनाने में किया जाता है। क्रूड के भाव बढ़ने से महंगे हुए डीजल की भरपाई बायोडीजल से की जाती है। यह खाद्य तेलों को महंगा कर देता है। इसी तरह पेट्रोकेमिकल (Petrochemical) से बनने वाले सिंथेटिक फाइबर की तुलना में कॉटन (Cotton) सस्ता पड़ने लगता है, तो कपास की भी मांग बढ़ जाती है।
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गेहूं-चीनी से लेकर तेल तक हो जाते हैं महंगे
इथेनॉल बनाने में मक्के का इस्तेमाल होने से पशुओं के चारे में अन्य अनाजों का इस्तेमाल बढ़ जाता है। पशुओं के चारे में मक्के की जगह गेहूं (Wheat) समेत अन्य अनाजों का इस्तेमाल बढ़ जाता है। पॉम और सोया के बायोडीजल बनाने में इस्तेमाल होने से तिलहनी खल्लियों (Oil Cakes) की कमी होती है, जिसकी भरपाई अन्य तिलहन करते हैं। ऐसा ही चीनी के साथ भी होता है, क्योंकि जिस गन्ने से चीनी (Sugar) बनना था, वह इथेनॉल बनाने में इस्तेमाल होने लगता है। इस तरह क्रूड ऑयल के दाम बढ़ने का सीधा असर खाने वाली चीजों के भाव पर पड़ता है।