रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन क्रेडाई ने सीमेंट और इस्पात के दाम को नियमन के दायरे में लाये जाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। संगठन ने आरोप लगाया है कि इन दोनों क्षेत्रों में आपसी साठगांठ के चलते दाम तेजी से बढ़ा दिये गये हैं।

इसका रियल एस्टेट क्षेत्र पर बुरा असर पड़ रहा है। क्रेडाई ने मामले में सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसियेशन ऑफ इंडिया यानी क्रेडाई ने दाम में अचानक वृद्धि किया जाना पूरी तरह से अनैतिक है और ऐसा करना अनुचित एवं प्रतिबंधित व्यापार गतिविधियों के दायरे में आता है। क्रेडाई ने ये शिकायत ऐसे समय में की है जब हाल ही में अल्ट्राटेक सीमेंट, अंबुजा सीमेंट और एसीसी सीमेंट समेत देश की कई बड़ी सीमेंट कंपनियों के खिलाफ जांच हो रही है।

ये जांच भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग कर रही है। बता दें कि क्रेडाई के साथ 20 हजार से अधिक रीयल एस्टेट डेवलपर, निर्माण कार्य करने वाले उद्यमी जुड़े हैं।

क्या लिखा है पत्र में: क्रेडाई ने प्रधानमंत्री को भेजे गये पत्र में लिखा है कि इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक सीमेंट के दाम 23 प्रतिशत और इस्पात का दाम 45 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ चुका है। जनवरी 2020 में सीमेंट के 50 किलो के कट्टे का दाम 349 रुपये था जो कि दिसंबर 2020 में बढ़कर 420- 430 रुपये तक पहुंच चुका है।

इसी प्रकार इस साल की शुरुआत में इस्पात का दाम 40,000 रुपये प्रति टन पर चल रहा था जो कि दिसंबर आते आते 58,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच चुका है। क्रेडाई ने सरकार को याद दिलाया है कि रियल एस्टेट क्षेत्र कोरोना वायरस महामारी के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा है।

संगठन ने कहा है कि आपसी साठगांठ के चलते सीमेंट, इस्पात और दूसरे जरूरी सामान के दाम में लगातार और अचानक हो रही वृद्धि के कारण रियल एस्टेट डेवलपरों की निर्माण लागत बढ़ रही है और इस स्थिति से मकान बनाने और उन्हें लोगों के सुपुर्द करने में देरी हो सकती है।

कुछ मामलों में परियोजनायें रुक भी सकती है जिससे कि खरीदारों को उनके फ्लैट मिलने में देरी होगी कुल मिलाकर क्षेत्र पर बुरा असर पड़ेगा। (भाषा से इनपुट)