कांग्रेस ने जीएसटी दर को एक दायरे में रखने के उपाय करने की बात कहकर अपने रुख में कुछ नरमी के संकेत दिए हैं। इस बात को लेकर सरकार में एक शीर्ष सूत्र ने कहा कहा कि यह ‘तर्कसंगत सलाह’ है और इस मामले में विपक्षी दल के साथ बातचीत जारी रहेगी। कांग्रेस जीएसटी की अधिकतम दर को 18 प्रतिशत तय करने और ऐसे राज्यों जहां विनिर्माण गतिविधियां अधिक होती है और जिन्हें जीएसटी से राजस्व में कमी की आशंका है, उनको क्षतिपूर्ति के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने के प्रावधान को हटाने की मांग करती रही है। अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को बढ़ाने की पहल करते हुए कांग्रेस ने ही मूल रूप से 2009 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की अवधारणा को तैयार किया था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, समझा जाता है कि राज्य सभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा है कि यदि सरकार जीएसटी कर दर की घेराबंदी के संबंध में कोई सुझाव लेकर आती है तो उनकी पार्टी संविधान संशोधन विधेयक में कर की दर का उल्लेख किये जाने के मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है। सरकार में शीर्ष स्तर पर इसपर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा गया, ‘यह व्यावहारिक सलाह है। हम उनसे बात करते रहेंगे।’ पिछले नवंबर से कांग्रेस इस पर दबाव डालती रही है कि संविधान संशोधन विधेयक में जीएसटी की 18 प्रतिशत दर का उल्लेख किया जाना चाहिए, एक प्रतिशत अतिरिक्त कर खत्म किया जाना चाहिए और राज्यों के विवाद निपटाने के लिए जीएसटी विवाद निपटान प्राधिकार का गठन किया जाना चाहिए जिसकी अध्यक्षता किसी पूर्व न्यायधीश को दी जानी चाहिए।
वित्त मंत्री अरुण जेटली, हालांकि हमेशा यह कहते रहे हैं कि दुनिया भर में कहीं भी कर की दर का संविधान में उल्लेख नहीं किया जाता है। सरकार को कभी भी किसी प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों में कर की दर में बदलाव लाना पड़ सकता है इसलिये इसमें लचीलापन होना चाहिए। सरकार चाहती है कि संसद के आगामी मॉनसून सत्र में जीएसटी विधेयक पारित हो जाए और ऐसा अनुमान है कि सत्र के पहले ही दिन 18 जुलाई को इस विधेयक को राज्य सभा में पेश किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और लंबे समय से राज्यसभा में अटका हुआ है। मॉनसून के शुरू होने से पहले ही यह कहा जा रहा है कि जेटली कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। सरकार इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने के लिए क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन पर निर्भर कर रही है। इसके बाद वर्ष के अंत तक इससे जुड़े दूसरे कानूनों को पारित किया जाएगा और फिर अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू किया जा सकता है।