देश में चीनी सामान के आयात में कमी को लेकर रिटेल और होससेल कारोबारियों ने कैंपेन लॉन्च किया है। इस कैंपेन के तहत दिसंबर 2021 तक देश में चीनी सामान के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये तक की कमी करने का फैसला लिया गया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के तहत तत्वावधान में कारोबारियों ने यह कैंपेन शुरू किया है। इसके तहत 3,000 ऐसे आइटम्स की लिस्ट तैयार की गई है, जिनके भारत में विकल्प मौजूद हैं और उनके चीन से आयात से बचा जा सकता है। 2019-20 के आंकड़ों की बात करें तो दोनों देशों के बीच 81.6 अरब डॉलर का कारोबार है, जबकि चीन 48.66 बिलियन डॉलर के ट्रेड सरप्लस में है। इसके अलावा चीन से कुल आयात 65.26 बिलियन डॉलर रहा है, जो 2018-19 के मुकाबले 7.2 पर्सेंट कम था।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने बिजनेस टुडे से बातचीत में कहा, ‘2001 में चीन से आयात महज 2 अरब डॉलर ही था, जिसमें अब तक 3500 फीसदी तक का इजाफा हो चुका है। इससे स्पष्ट है कि चीन ने भारत के रिटेल मार्केट पर कब्जा करने के लिए किस तरह रणनीति के तहत काम किया है।’ उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह हमारे कारोबारी समुदाय की रणनीतिक चूक भी है। कारोबारियों के अलावा सरकार ने भी चीन के विकल्प की ओर ध्यान देने का काम नहीं किया। अब समय आ गया है, जब हमें अपनी गलती सुधारनी चाहिए और चीन के विकल्प की तलाश पर जोर देना चाहिए।

कन्फेडरेशन का कहना है कि उसके इस मूवमेंट से देश के 40,000 कारोबारी संगठनों ने जुड़ने का फैसला लिया है। इन संगठनों से देश भर के 7 करोड़ रिटेलर और होलसेलर जुड़े हुए हैं। सभी ने चीनी उत्पादों के पूर्ण बहिष्कार का फैसला लिया है। बता दें कि बीते कई सालों से चीनी उत्पादों की खरीद को हतोत्साहित करने के लिए अभियान चलते रहे हैं।

चीनी सामान के बहिष्कार की मांग ने फिर पकड़ा जोर: कोरोना के प्रसार और हाल ही में लद्दाख में चीनी सेना के अतिक्रमण के बाद एक बार फिर से इस मुद्दे ने जोर पकड़ा है। बड़ी संख्या में ऐसे लोग सामने आए हैं, जो चीनी सामान के पूर्ण बहिष्कार की मांग कर रहे हैं। हाल ही में मशहूर शिक्षा सुधार सोनम वांगचुक ने भी एक वीडियो जारी कर चीनी सामानों के बहिष्कार की अपील की थी।