भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के चलते चीनी कंपनियों को भी भारत में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। भारत के स्मार्टफोन मार्केट में करीब 70 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियां अब खुद को भारतीय ब्रैंड के तौर पर स्थापित करने की तैयारी में हैं। कंपनियों की रणनीति है कि ऐसा करने से उन्हें गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हुई सैन्य झड़प के बाद पैदा हुए आक्रोश का सामना नहीं करना पड़ेगा। जानकारों के मुताबिक चीन से सीमा पर टकराव के चलते उभरे राष्ट्रवाद का फायदा कोरियाई कंपनी सैमसंग को मिल सकता है। सैमसंग के मोबाइल फोन्स की सेल में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।
चीनी मोबाइल कंपनी Tecno के एक अधिकारी ने कहा कि हमने यह फैसला लिया है कि पैकेजिंग में मेड इन इंडिया का जिक्र किया जाए। ऐसी ही रणनीति अन्य चीनी कंपनियां भी अपना नही हैं। अब भी ज्यादातर कंपनियां 60 से 70 पर्सेंट सामान भारत में ही तैयार करती हैं। यहां तक कि चीनी कंपनी Realme के इंडिया के सीईओ माधव सेठ ने पिछले दिनों कहा था कि मैं गर्व से कह सकता हूं कि Realme एक भारतीय स्टार्टअप है, जो अब मल्टीनेशनल कंपनी बन चुकी है। Realme कंपनी का मालिकाना हक चीन की कंपनी BBK इलेक्ट्रॉनिक्स के पास है। इसके अलावा टेक्नो, ओप्पो, वीवो और वनप्लस जैसी कंपनियां भी BBK इलेक्ट्रॉनिक्स के मालिकाना हक में हैं।
हालांकि अभी चीनी मोबाइल कंपनियों के प्रोडक्ट्स की मांग में कोई अंतर देखने को नहीं मिला है। एक मोबाइल कंपनी के अधिकारी ने कहा, ‘अब तक चीनी स्मार्टफोन्स की मांग में कोई समस्या नहीं देखी गई है। डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध के दौरान जरूर कुछ वक्त के लिए थोड़ा असर देखने को मिला था।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल तो मांग में इजाफा ही हुआ है क्योंकि कोरोना के संकट के चलते सप्लाई प्रभावित हुई थी और डीलर प्रोडकट्स की मांग कर रहे हैं। फ्लिपकार्ट पर चीनी स्मार्टफोन ब्रैंड्स वीवो और Realme के स्मार्टफोन्स की 23 और 25 जून को लॉन्चिंग होने वाली है।
इस बीच भारतीय फोन कंपनी माइक्रोमैक्स की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कंपनी को लगता है कि भारत और चीन के बीच पैदा हुए तनाव के चलते उसे फायदा मिल सकता है। इसी रणनीति के तहत कंपनी जल्दी ही तीन नए स्मार्टफोन्स की लॉन्चिंग करने वाली है। कंपनी ने हाल ही में अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी दी है।