सरकार ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) में तीन सदस्यों को गुरुवार (22 सितंबर) को नियुक्त किया। ये रिजर्व बैंक के तीन नामित सदस्यों के साथ मिलकर आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर का निर्धारण कर सकते हैं। समिति खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्षित स्तर पर रखने के मकसद से मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगी। रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली एमपीसी में सरकार ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स की निदेशक पमी दुआ तथा आईआईएम-अहमदाबाद के रवीन्द्र एच ढोलकिया को नियुक्त किया है। एक सरकारी नोटिस के अनुसार मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने एमपीसी के सदस्य के रूप में तीन प्रख्यात विशेषज्ञों को नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी है।

रिजर्व बैंक द्वारा नामित सदस्यों में गवर्नर, डिप्टी गवर्नर तथा केंद्रीय बैंक के एक और सदस्य होंगे। घाटे उस पांच सदस्यीय तकनीकी परामर्श समिति में शामिल रहे हैं जो प्रत्येक मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों के बारे में परामर्श देती है। रिजर्व बैंक की 2016-17 के लिये चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा चार अक्तूबर को आएगी। इसमें नीतिगत दर के बारे में निर्णय समिति कर सकती है जबकि अब तक इस संदर्भ में फैसला आरबीआई गवर्नर करते रहे हैं। वित्त अधिनियम 2016 के जरिये भारतीय रिजर्व बैंक कानून, 1934 में संशोधन करने के बाद एमपीसी गठित किया गया है।

एमपीसी सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति के लक्ष्य और उसे हासिल करने को ध्यान में रखकर नीतिगत दर स्थापित करने के बारे में फैसला करेगी। सरकार के साथ हुए समझौते के तहत रिजर्व बैंक खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने को प्रतिबद्ध है। केंद्रीय बैंक ने अगले वर्ष मार्च के लिए पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति का लक्ष्य रखा है। एमपीसी के लिए नियमों के तहत प्रत्येक सदस्य का एक वोट होगा और अगर मामला बराबरी पर आता है तो रिजर्व बैंक के गवर्नर निर्णायक वोट देंगे। अब तक गवर्नर ही रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर अंतिम निर्णय लेता रहा है। समिति के सदस्यों की नियुक्ति चार साल के लिए होगी और वे पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे।