गंगा नदी की मुख्यधारा की सतह की सफाई का काम अगले साल से शुरू होना है और सरकार ने जनता और प्रवासी भारतीयों से स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) में योगदान करने का आह्वान किया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार सरकार को अब तक सीजीएफ में दान के रूप में करीब 88 करोड़ रुपए मिल चुके हैं और उसे अधिक धन की आवश्यकता होगी क्योंकि संभवत: जनवरी 2016 से सफाई की गतिविधि शुरू होने वाली है।

सीजीएफ की स्थापना एक साल से अधिक समय पहले हुई थी। मंत्रालय में सचिव शशि शेखर ने कहा, ‘हमारे पास गंगा की सफाई के लिए कार्य योजना तैयार है और शुरुआती स्तर की गतिविधियों से काम शुरू करेंगे। नदी की सफाई सतत प्रक्रिया है और इसके लिए कोष की आवश्यकता होगी। इसलिए, हम जनता से सीजीएफ में योगदान देने का आग्रह करते हैं। इस पर दान देने वालों को कर से छूट भी मिलेगी।’

शेखर ने उल्लेख किया, ‘अब तक मिले कुल कोष में से, एक बड़ी राशि निजी कंपनियों (सीएसआर) से मिली है, जबकि आम जनता व प्रवासी भारतीयों से मिली राशि की मात्रा कम रही है।’ उन्होंने कहा कि सरकार के पास अब कार्ययोजना तैयार है और काम किस तरह किया जाएगा, इसका ब्योरा मंत्रालय की वेबसाइट पर साझा किया जाएगा।

अधिकारी ने कहा, ‘हम लोगों से पूछते हैं, क्या प्रत्येक भारतीय इस उद्देश्य के लिए हर महीने दस रुपए का योगदान दे सकता है? यह कोई बडी चीज नहीं है। यदि 20 करोड़ लोग भी हमें दस रुपए दें तो हमें 200 करोड़ रुपए मिल जाएंगे। यदि हर भारतीय-अमेरिकी एक महीने में एक डॉलर दे तो हमें एक करोड़ डॉलर मिल जाएंगे। हम इस तरह की अपील करेंगे। हम वेबसाइट, प्रिंट विज्ञापनों के जरिए अपील करेंगे।’

सरकार चार हिस्सों में शुरुआती गतिविधियां चलाएगी जिसमें सतह की सफाई पहला काम होगा । तीन अन्य गतिविधियों में नदी पट्टी के साथ घाटों का निर्माण, मरम्मत, शवदाहगृहों के निर्माण, मरम्मत और नदी किनारे स्थित तीन हजार से अधिक गांवों से नदी में जाने वाले अवजल का पुनर्चक्रण शामिल है। अधिकारियों के अनुसार इन गांवों में से प्रत्येक से रोजाना 10 से 50 हजार लीटर पानी गंगा में बहता है।

शेखर ने कहा, ‘हम गतिविधियों और इस पर हुए खर्च का ब्योरा वेबसाइट पर लोगों के साथ सालाना साझा करेंगे।’ केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले साल सितंबर में सीजीएफ की स्थापना को मंजूरी दी थी।