केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर विभाग के 30 जून से टैक्स रिटर्न नहीं भरने वाले और नियमित रूप से टैक्स रिटर्न भरने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने संबंधी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। आयकर विभाग के नॉन-फाइलर मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएस) के अनुसार साल 2013 से 2017 के दौरान 2.04 करोड़ आयकर रिटर्न नहीं भरने वालों का पता लगा गया है।

इसके अतिरिक्त 25 लाख ऐसे लोगों की भी पहचान की गई है जो नियमित रूप से टैक्स रिटर्न नहीं भर रहे या बीच में रिटर्न भरने में गैप कर रहे हैं। ऐसे लोग जो एक साल तो रिटर्न भरते हैं लेकिन अगले साल नहीं भरते या बीच में दो साल के गैप के बाद फिर रिटर्न भरते हैं। विभाग ऐसे लोगों को ‘ड्रॉप फाइलर्स’ की कैटेगरी में रखता है। जबकि ‘नॉन फाइलर्स’ वो लोग हैं जो रिटर्न ही नहीं भरते हैं।

असेसिंग अधिकारी ने कहा, ‘हम देशभर के सभी नॉन फाइलर्स और ड्रॉप फाइलर्स को नोटिस जारी कर रहे हैं और संबंधित मामलों में कार्रवाई शुरू की जाएगी।’ आयकर विभाग के सेक्शन 271एफ के अंतर्गत टैक्स रिटर्न नहीं फाइल करने वाले पर जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं देरी से रिटर्न फाइल करने वालों पर सेक्शन 234 के तहत कार्रवाई होगी।

यदि करदाता 31 अगस्त की निर्धारित तारीख के बाद लेकिन 31 दिसंबर से पहले रिटर्न फाइल कर देता है तो उस पर 5000 रुपये का जुर्माना लगेगा। वे लोग जो 31 दिसंबर के बाद रिटर्न फाइल करते हैं उनपर जुर्माने की रकम बढ़ कर 10000 रुपये हो जाएगी। हालांकि, इसमें छोटे करदाताओं को छूट दी जाएगी।

यदि उनकी कुल आय 5 लाख से अधिक नहीं है तो उन पर अधिकतम 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। एक असेसिंग अधिकारी जुर्माने के साथ ही तीन महीने से लेकर 2 साल तक सजा संबंधी कार्रवाई शुरू कर सकता है। कर योग्य आय 25 लाख से अधिक होने की सूरत में सजा की अवधि बढ़ सकती है।

कर विभाग ने एनएमएस डाटाबेस के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी है। एनएमएस के डाटा को असेसिंग अधिकारियों के साथ साझा किया जा रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि इस सूचना के आधार पर कर दायरा को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाएगा। एनएमएस डाटा के अनुसार साल 2013 के बाद से आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।

साल 2014 में आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करने वाले लोगों की संख्या 12.2 लाख थी जो साल 2015 में बढ़कर 67.5 लाख हो गई। वहीं ड्रॉप फाइलर्स की संख्या वित्त वर्ष 2017 के 28.3 लाख के मुकाबले वित्त वर्ष 2018 में 25.2 लाख हो गई।