Royal Enfield Flying Flea History: रॉयल एनफील्ड का नाम दुनिया भर में अपने खास परफॉर्मेंस बाइक्स के लिए मशहूर रहा है, जितनी दमदार इस कंपनी की बाइक्स रही हैं उतना ही गौरवशाली कंपनी का अतीत भी रहा है। क्या आपने कभी रॉयल एनफील्ड के पंच लाइन पर गौर किया है, कंपनी के लोगो के ठीक नीचे की लिखे वो तीन शब्द “Made Like Gun” ही अपने आप में कंपनी के इरादों को जाहिर करने में सक्षम है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान Royal Enfield ने एक ऐसी बाइक का निर्माण किया था जो वजन में काफी हल्की थी और इसे Flying Flea का नाम दिया गया। हाल ही में कंपनी ने इस नाम का एक बार फिर से पेटेंट करवाया है और बताया जा रहा है कि ये बाइक जल्द ही लांच की जाएगी।
दरअसल, Eicher Motors (जो कि रॉयल एनफील्ड की पैरेंट कंपनी है) ने यूरोपियन यूनियन इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफिस में Flying Flea के नाम से एक ट्रेड मॉर्क रजिस्टर करवाया है। इस नाम के पंजीकरण के साथ ही दुनिया के ऑटोमोबाइल बाजार में कंपनी के इस ऐतिहासिक बाइक की चर्चा एक बार फिर से शुरू हो चुकी है। तो आइये जानते हैं इस बाइक के बारे में-
Royal Enfield Flying Flea का इतिहास: ये एक लाइटवेट मोटरसाइकिल थी, और इसे Royal Enfield ने ब्रिटिश वार ऑफिस (जो कि वार डिपार्टमेंट के अन्तर्गत आता था) के लिए तैयार किया था। इस बाइक का इस्तेमाल युद्ध के दौरान दुश्मन के सीमा के आस पास के इलाकों में सैनिकों द्वारा संदेश पहुंचाने और खराब रास्तों पर आसानी से ट्रांसपोर्टेशन के लिए किया जाता था। ये बाइक्स जहाज द्वारा पैराशूट के जरिए जमीन पर उतारी जाती थीं और उसके बाद इनका इस्तेमाल किया जाता था।
इन बाइक्स की कहानी साल 1938 से शुरू होती है जब जर्मन अधिकारियों ने ड्च फ्रेंचाइजी DKW RT100 बाइक्स की आपूर्ति को रोक दिया। इसके बाद Royal Enfield से संपर्क किया गया और कंपनी को निर्देशित किया गया कि वो ऐसी बाइक का निर्माण करें जिनका प्रयोग सेना द्वारा किया जा सके। कंपनी ने अप्रैल 1939 में रॉटरडैम में ‘रॉयल बेबी’ नाम के दो प्रोटोटाइप दिखाए गए। जिनमें से कुछ बाइक्स का प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया भी गया।
इसके बाद 1942 के दौरान वार ऑफिस ने कंपनी को 20 मोटरसाइकिलों का ऑर्डर दिया ताकि उनकी टेस्टिंग की जा सके। ये बाइक्स 1939 के उन्हीं बाइक्स के डिजाइन पर आधारित थीं। इनमें दाहिनी तरफ ब्रेक्स दिए गए थें और इनमें बहुत ही कम टूल बॉक्स को शामिल किया गया था। टेस्टिंग के दौरान इन बाइक्स में कुछ बदलाव किए गएं जैसे कि इनमें ट्वीन बॉक्स एग्जॉस्ट सिस्टम लगाया गया ताकि ये कम से कम आवाज करें। इसके अलावा इनमें फोल्डिंग किक स्टार्ट और हैंडलबार भी लगाया गया, जिसे आसानी से फोल्ड किया जा सकता था।

आखिर क्यों चाहिएं थी ऐसी बाइक: दरअसल, वार ऑफिस को एक ऐसी बाइक चाहिए थी जो कि वजन में हल्की हो और जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सके। इतना ही नहीं इन बाइक्स को हवाई जहाज से पैराशूट की मदद से नीचे भी गिराया जा सके। ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी समस्या बाइक्स के डैमेज होने की थी। इसके लिए बाइक्स को एक क्रैडेल (लोहे का पिंजड़ा) में रखा गया। ये पिंजड़ा काफी मजबूत होता था और इसे आसानी से पैराशूट के माध्यम से जमीन पर गिराया जाता था।
Flying Flea का इंजन: इस बाइक में कंपनी ने 125cc की क्षमता के टू स्ट्रोक इंजन का प्रयोग किया था, जो कि 3.5 hp की पावर जेनरेट करता था। इस बाइक का कुल वजन महज 59 किलोग्राम था, जिसे आसानी से सेना के जवान अपने हाथ से भी उठा लेते थें। इस बाइक में पतले टायर, सिंगल सीट और कम से कम धातु का प्रयोग किया गया था। लाइटिंग के लिए इसमें एक हेडलाइट दी गई थी।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जैसे-जैसे जंग बढ़ती गई, मित्र देशों की सेना ने नॉर्मंडी में ऐतिहासिक डी-डे लैंडिंग की। ऐसा पहली बार था जब हवाई जहाज से बाइक्स को किसी योद्धा की तरह उतारा जा रहा था। जमीन पर आते ही इन बाइक्स को लोहे के केज यानी की पिंजड़ो से बाहर निकाला गया और सेना के जवान इन्हें लेकर फ्रंट लाइन की तरफ दौड़ पड़ें। Royal Enfield की इस Flying Flea ने ऑपरेशन मार्केट गार्डन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जब मित्र देशों की सेना ने कई पुलों पर कब्जा करने के बाद नीदरलैंड के माध्यम से जर्मनी तक पहुंचने की कोशिश की।
Flying Flea युद्ध में सेवा देने वाली सबसे ज्यादा लोकप्रिय मोटरसाइकिल बन गई, लेकिन रॉयल एनफील्ड ने ग्रेट ब्रिटेन के युद्ध के दौरान अपने योगदान के रूप में अन्य मोटरसाइकिलों को भी बनाया। कंपनी की कई बाइक्स को WD बैज मिला, जिसमें WD / C 350 cc, WD / D 250 cc और WD / L 570 cc प्रमुख हैं। इन तमाम बाइक्स के बावजूद आज भी Flying Flea की चमक बरकरार है और कंपनी एक बार फिर से उसी चमक की रोशनी बिखेरनी की तैयारी कर रही है।