ऐसा समझा जाता है कि सरकार ने उन तीन कोयला ब्लॉकों को सरकारी कपंनी कोल इंडिया लि. को आवंटित कर दिया है जिनकी निलामी अमान्य कर दी गयी। इन ब्लॉकों के लिये हाल में हुई नीलामी में दो के लिए जेएसपीएल तथा एक के लिए बाल्को नंबर एक बोलीदाता के रूप में उभरी थी।
एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘‘अनुसूची दो (जहां उत्पादन हो रहा है) के अंतर्गत आने वाले तीन कोयला ब्लॉक (गारे पलमा 4:1, 4:2 तथा 4:3 ब्लॉक) को कोल इंडिया लि. को आज आबंटित कर दिया गया। इन ब्लॉकों के लिये जेएसपीएल तथा बाल्को सर्वोच्च बोलीदाता के रूप में उभरी थीं।’’
यह बात ऐसे समय सामने आयी है जब जिंदल स्टील एंड पावर लि. (जेएसपीएल) कोयला ब्लॉक को रद्द करने के केंद्र के निर्णय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दे रही है। जेएसपीएल का कहना है कि कंपनी को यह आशंका है कि ब्लॉक किसी अन्य को आबंटित किया जा सकता है क्योंकि सरकार ‘बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है।’
सूत्र के अनुसार सरकार ने ये ब्लॉक कोल इंडिया को देने का फैसला तेजी से किया है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कंपनियों को उन ब्लॉकों में 31 मार्च तक खनन जारी रखने की अनुमति दी है जहां कोयला उत्पादन पहले से हो रहा था।
इन तीनों कोयला ब्लॉक में कुल कोयला भंडार 31.37 करोड़ टन अनुमानित है। सरकार ने इन तीनों ब्लॉक के अलावा तारा ब्लॉक की नीलामी को भी 20 मार्च को रद्द किया था। इस ब्लॉक को अनुसूची तीन (उत्पादन के लिये तैयार ब्लॉक) में रखा गया था।
समान प्रकार की सम्पत्तियों के मुकाबले बोली का स्तर काफी कम लगने के कारण सरकार ने इन ब्लॉकों को मौजूदा नीलामी के तहत आबंटित नहीं करने का निर्णय किया है। जहां गारे पलमा 4:2 तथा गारे पलमा 4:3 तथा तारा कोयला ब्लॉक के लिये जेएसपीएल सबसे बड़ी बोलीदाता थी तथा गारे पलमा 4:1 के लिये भारत अल्मूनियम कंपनी (बाल्को) सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में उभरी थी।
सरकार ने हाल में हुई नीलामी में रखे गये कोयला ब्लॉक में से नौ की जांच करने का निर्णय किया। बोली कम रखने के लिये कुछ बोलीदाताओं के बीच साठगांठ की अटकलों के बीच सरकार ने यह कदम उठाया। हालांकि बाद में पांच अन्य कोयला ब्लॉक की बोली स्वीकार कर ली गयी।
जेएसपीएल ने सरकार के नये कदम पर अभी कोई बयान नहीं दिया है वहीं बाल्को ने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
