सरकार बीमा और कोयला क्षेत्रों में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपना सकती है। राज्यसभा में हंगामे के चलते कामकाज प्रभावित होने से इन क्षेत्रों से जुड़े विधेयक पारित नहीं हो पाए। संसद मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई। बीमा क्षेत्र के बारे में वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने यह कहते हुए संकेत दिया है कि सरकार को सभी संभावनाओं पर विचार करना होगा।
वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा से यहां यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार इसके लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाएगी तो उनका जवाब था- हमें सभी संभावनाओं पर विचार करना होगा क्योंकि वास्तविकता यह है कि देश को बीमा क्षेत्र में और निवेश की जरूरत है। उच्च सदन की प्रवर समिति की मंजूरी के बावजूद बीमा कानून संशोधन विधेयक 2008 राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया। इसका कारण धर्मांतरण और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों का हंगामा करना रहा। इसका कामकाज पर असर पड़ा। कोयला खान (विशेष प्रावधान) विधेयक 2014 को लोकसभा मंजूरी दे चुकी है लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो पाया। संसद के चालू सत्र के दौरान बीमा संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित न होने के लिए उन्होंने राजनीतिक अड़ंगेबाजी को जिम्मेदार ठहराया। उल्लेखनीय है कि राजग को राज्यसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा था कि सरकार बीमा क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है और हम इस प्रकार के सुधारों के रास्ते में राजनीतिक बाधा खड़ी करने की अनुमति नहीं देंगे। कोयला विधेयक के बारे में उन्होंने कहा था कि इस विधेयक को लोकसभा ने आम सहमति से पारित किया है। सभी संदेहों को दूर कर लिया गया लेकिन इसे उच्च सदन में पेश नहीं होने दिया गया। बीमा कानून संशोधन विधेयक जो कि राज्यसभा में 2008 से लंबित है, में बीमा कंपनियों में समग्र विदेशी निवेश सीमा 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद करने की बात कही गई है। 49 फीसद विदेशी निवेश में एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) व विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को भी शामिल किया गया है। कोयला विधेयक का पारित होना जरूरी है क्योंकि इससे उन कोयला खानों की नीलामी का रास्ता खुलेगा जिनका आबंटन सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया।