केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी। बजट से पहले वित्त मंत्रालय संसद में एक और महत्वपूर्ण दस्तावेज पेश करता है जिसे आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) कहा जाता है। सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) द्वारा जारी किया जाता है और वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किया जाता है। यह हमेशा केंद्रीय बजट से एक दिन पहले यानी आमतौर पर 31 जनवरी को पेश किया जाता है। इकोनॉमिक सर्वे 2023 ने वित्त वर्ष 24 के लिए जीडीपी वृद्धि 6-6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया था।

क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे?

इकोनॉमिक सर्वे समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था की स्थिति की एक विस्तृत रिपोर्ट है। आमतौर पर यह पिछले वित्त वर्ष का लेखा जोखा होता है। यह दस्तावेज़ न केवल सरकार के प्रमुख विकासात्मक कार्यक्रमों की जानकारी देता है बल्कि केंद्र सरकार की नीतिगत पहलों का भी जिक्र करता है । यह पिछले वर्ष के लिए दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।

इकोनॉमिक सर्वे में दो हिस्से होते हैं। एक में देश के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियां शामिल होती हैं और दूसरे में बीते वर्ष का विश्लेषण होता है। हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण का आकलन और सिफारिशें केंद्रीय बजट पर डिपेंड नहीं होता है।

कब पेश किया गया पहला इकोनॉमिक सर्वे?

पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक हिस्से के रूप में पेश किया गया था। हालांकि 1964 में इकोनॉमिक सर्वे को बजट से अलग कर दिया गया था। तब से बजट पेश होने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे जारी करने की प्रथा बन गई है।

पहले इकोनॉमिक सर्वे केवल एक खंड में पेश किया गया था, जिसमें अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र जैसे सेवा, कृषि और विनिर्माण, और महत्वपूर्ण नीति क्षेत्र जैसे राजकोषीय विकास, रोजगार की स्थिति और महंगाई शामिल थे। हालांकि 2010-11 और 2020-21 के बीच सर्वे को दो खंडों में प्रस्तुत किया गया था। लेकिन पिछले साल से यह फिर से एक खंड में पेश किए जाने लगा।

कौन तैयार करता है इकोनॉमिक सर्वे?

इकोनॉमिक सर्वे मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट द्वारा तैयार किया जाता है। वर्तमान में वी. अनंत नागेश्वरन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। यह सर्वे पिछले वित्तीय वर्ष में सभी क्षेत्रों, उद्योगों, कृषि, रोजगार, कीमतों और निर्यात के डेटा का विश्लेषण करके आर्थिक विकास की समीक्षा करता है। सर्वे अगले वित्तीय वर्ष के लिए देश की प्राथमिकता और किन क्षेत्रों पर अधिक जोर देने की आवश्यकता होगी, यह बताकर बजट की बेहतर समझ देने में भी मदद करता है।