मोदी सरकार का अंतरिम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश कर दिया है। ये उनका सबसे छोटा बजट भाषण तो रहा ही है, इसके साथ-साथ चर्चा इस बात की भी हो रही है कि इस बजट में कोई भी बड़ा ऐलान नहीं किया गया। जब चुनाव नजदीक हैं, सभी को उम्मीद थी कि राहत देने वाले कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। लेकिन ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखा है, इसके उलट सरकार में एक आत्म विश्वास दिखा है। ये आत्मविश्वास तीसरे कार्यकाल को लेकर है।

निर्मला सीतारमण ने जो बजट भाषण दिया है, उसमें कई मौकों पर उनकी तरफ से हिंट दिया गया कि जुलाई में भी जब पूर्ण बजट पेश किया जाएगा, सरकार मोदी की ही रहने वाली है। अब किसी चुनावी भाषण में अपनी जीत की गारंटी अलग बात होती है, लेकिन वित्त मंत्री ने पीएम मोदी के पद चिन्हों पर चलते हुए लोकसभा के पटल से ये ऐलान किया है। इसी वजह से इसे विश्वास की पराकाष्ठा माना जा रहा है।

वित्त मंत्री ने दो बार तो खुलकर अपने बजट भाषण में कहा है कि एक बार फिर मोदी सरकार ही आने वाली है। बजट भाषण के दौरान कोविड का जिक्र करते हुए निर्मला ने कहा कि देश की जनता हमारे काम के आधार पर हमे फिर शानदार जनादेश देने वाली है। हमारी सरकार ने कोविड की तमाम चुनौतियों से पार पाया और आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी है। अब इस बयान में तो अपने काम के प्रति वित्त मंत्री का अटूट विश्वास दिख रहा है, उन्हें जनता पर भी भरोसा है कि वो फिर मोदी को ही चुनने वाली है।

अपने भाषण के दौरान एक मौके पर निर्मला सीतारमण एक बड़ी भविष्यवाणी भी कर दी। उन्होंने एक मुस्कान के साथ बोल दिया कि ‘जब जुलाई में पूर्ण बजट पेश किया जाएगा’। यहां ये समझना जरूरी है कि अभी जो पेश हुआ वो एक अंतरिम बजट है जो सिर्फ कुछ महीनों का है, असल पूर्ण बजट जुलाई महीने में पेश होगा। अब वित्त मंत्री ने दो टूक कह दिया है कि वो वाला बजट भी वही पेश करेंगी। उन्होंने कहा कि जुलाई में, पूर्ण बजट में हमारी सरकार ‘विकसित भारत’ के लक्ष्‍य का विस्‍तृत रोडमैप प्रस्‍तुत करेगी।

अब यहां पर तो वित्त मंत्री का कॉन्फिडेंस दिखाई ही दिया, बार-बार उनकी तरफ से विकसित भारत का भी जिक्र हुआ। जब भी उन्होंने उस विकसित भारत की कल्पना की, उन्होंने अपनी वर्तमान सरकार का जिक्र करना नहीं भूला। भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने एक बयान में कहा कि ‘सबका विश्वास’ के साथ अगले पांच वर्ष अभूतपूर्व विकास के और @2047 विकसित भारत के सपनों को साकार करने के स्वर्णिम क्षण होंगे। ‘सबका प्रयास’ की शक्ति के साथ जनसांख्यिकी, लोकतंत्र और विविधता की त्रयी में प्रत्येक भारतीय की आकांक्षाओं को पूरा करने की संभावना विद्यमान है।

अब यहां पर निर्मला सीतारमण ने आने वाले पांच साल पर फोकस किया, जबकि अभी तो चुनाव ही नहीं हुए, ये तक नहीं पता कि जनता फिर मोदी को चुनने वाली है या विपक्ष को। लेकिन इसे अति विश्वास कहें या कुछ और, वित्त मंत्री ने जरूर भरोसा जता दिया है। भरोसा तो तब भी दिखा है जब-जब उन्होंने भाषण के दौरान भारत के भविष्य की बात की। एक बयान में उन्होंने बोला कि सरकार ऐसी आर्थिक नीतियां अपनाएगी जो विकास की रफ्तार को बढ़ाएंगी और इसे बनाए रखेंगी, समावेशी और सम्पोषणीय विकास के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी, उत्पादकता में सुधार लाएंगी, सभी के लिए अवसर उत्पन्न करेंगी, और उन्हें अपनी क्षमताएं बढ़ाने में मदद करेंगी, और निवेश बढ़ाने तथा अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संसाधनों को उत्पन्न करने में योगदान करेंगी।

यहां भी वित्त मंत्री ने ‘कराएंगी’, ‘करेंगी’, ‘लाएंगी’ जैसे शब्दों पर ज्यादा ध्यान दिया। इन शब्दों के जरिए भी यही हिंट दिया गया कि फिर तीसरी बार भी उनकी सरकार केंद्र में बनने जा रही है। वैसे जो दांव निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण के दौरान चला, पीएम मोदी भी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान इसी तरह खेल चुके हैं। उन्होंने भी कहा था कि ‘जब 2029 में फिर अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा’, उस बयान के जरिए भी उन्होंने आत्मविश्वास की एक बड़ी लकीर खींच दी थी। अब इसे इस सरकार का ओवर कॉन्फिडेंस माना जाए या बस जनता पर भरोसा, ये आने वाले महीनों में साफ हो जाएगा।