केंद्र सरकार के थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग ने हाल ही में सरकार को सलाह देते हुए कहा था कि बीएसएनएल के 4जी नेटवर्क से चीन समेत तमाम विदेशी कंपनियों को बाहर रखा जाना चाहिए। हालांकि इसके विपरीत खुद बीएसएनएल इस फैसले को लेकर सहज नहीं दिख रहा। सूत्रों के मुताबिक 4जी नेटवर्क के टेंडर से विदेशी वेंडर्स को बाहर रखने की पहल को लेकर बीएसएनएल का कहना है कि इससे उसे बड़ा नुकसान होगा। नीति आयोग ने सरकार से अपनी सिफारिश में कहा था कि बीएसएनएल के 4जी नेटवर्क में स्थानीय स्तर पर डिजाइन, डिवेलप और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
नीति आयोग की इस सिफारिश को लेकर बीएसएनएल के अधिकारियों का कहना है कि इस फैसले से कंपनी को बड़ा नुकसान होगा, जबकि सरकार ने कर्ज के संकट से उबारने के लिए 70,000 करोड़ रुपये का पैकेज भी जारी किया है। कंपनी के सूत्रों का कहना है कि नोकिया, ऐरिक्सन, सैमसंग, ZTE और Huawei जैसी कंपनियों को टेंडर की रेस से यदि बाहर रखा जाएगा तो फिर कई उपकरणों की कीमत 25 पर्सेंट तक बढ़ जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यह एक तरह का विरोधाभास ही है कि एक तरफ सरकार कंपनी को बचाने के लिए पैकेज जारी कर रही है तो दूसरी तरफ उसके ही एक फैसले के चलते लागत में इजाफा हो जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि अपनी 4जी तकनीक के लिए निजी कंपनियों पर विदेशी कंपनियों से खरीद को लेकर कोई रोक नहीं है। ऐसे में बीएसएनएल के लिए यह नियम लागू करना एक तरह से उसे टेलिकॉम मार्केट में रेस से बाहर करने जैसा होगा। BSNL ने कहा है कि उसने नई तकनीक को लेकर पूरी चर्चा के बाद टेंडर का फैसला लिया है और उसमें किसी भी तरह का दखल चिंता बढ़ाने वाला है।
खासतौर पर बीएसएनएल के कमर्शल तरीके से संचालन में भी इससे बाधा पहुंचेगी। सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग की मीटिंग के दौरान बीएसएनएल के सीएमडी पीके पुरवार ने कहा, ‘टेंडर पब्लिक डोमेन में है और कोई भी बोली लगा सकता है। बीएसएनएल को 40 वॉट के ट्रांसमिशन की जरूरत है, जो रेडी टू यूज हो और तुरंत लागू किया जा सके।’