प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशों में रखे कालेधन को वापस लाने के लिये दुनिया के देशों से सहयोग की मजबूत वकालत की है। कालेधन की समस्या से निपटने के उपाय तलाशने के भारी आंतरिक दबाव के बीच आज यहां जी20 देशों का शिखर सम्मेलन शुरू हो गया।

मोदी पहली बार शिखर सम्मेलन में जी20 के नेताओं से मिले। इस दौरान उन्होंने कहा कि विदेशों में रखे कालेधन को वापस लाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। इसके साथ ही उन्होंने यह संदेश भी दिया कि आर्थिक सुधारों को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिये।

जी20 की दो दिवसीय बैठक ऐसे समय हो रही है जब बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर चोरी के लिये लक्जमबर्ग के साथ करों को कम करने के लिये साठगांठ की जा रही है और दूसरी तरफ भ्रष्टाचार रोकने की वकालत करने वाले प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से उनकी सीमाओं के बाहर अवैध धन के प्रवाह को रोकने का आग्रह कर रहे हैं।

शिखर बैठक के मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टॉनी एबाट ने वादा किया है कि सम्मेलन वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2,000 अरब डॉलर जोड़ने की पहल करने में सफल रहेगा। इससे वैश्विक आर्थिक वृद्धि में दो प्रतिशत विस्तार होगा और लाखों रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

पांच देशों के ब्रिक्स समूह के नेताओं के बीच एक अनौपचारिक बैठक में कालेधन के मुद्दे को उठाते हुये मोदी ने कालेधन को वापस लाने के उद्देश्य को हासिल करने के लिये नजदीकी वैश्विक समन्वय की जोरदार वकालत की।

मोदी ने इस तरह से जी20 शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले ही कालेधन के मुद्दे को गरमा दिया है। मोदी विदेशों में रखे कालेधन की एक एक पाई लाने की पहले ही प्रतिबद्धता जता चुके हैं।

प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स नेताओं –चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा और ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रूसेफ– से कहा, ‘‘विदेशों में रखा काला धन वापस देश में लाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है।’’

मोदी ने कालेधन के मुद्दे पर दुनिया के देशों के बीच नजदीकी समन्वय स्थापित किये जाने पर जोर देते हुये विदेशों में रखे इस अवैध धन को सुरक्षा के लिये भी चुनौती बताया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुये बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब कालेधन को लेकर सुरक्षा क्षेत्र पर गौर किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सत्ता संभालने के साथ ही लगातार यह कहते रहे हैं कि कालाधन वापस लाना उनकी प्राथमिकता है और उनकी सरकार ने सत्ता संभालते ही पहले ही दिन कालेधन का पता लगाने के लिये उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को मंजूरी दी।

मोदी ने बाद में जी20 के अपने साथी नेताओं को संबोधित करते हुये कहा कि सुधार प्रक्रिया के समक्ष गतिरोध पैदा होना लाजिमी है। उन्होंने सुधारों को राजनीतिक दखलंदाजी से अलग रखने पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुये कहा कि सुधारों से प्रक्रियाओं को सरल होना चाहिये और प्रशासन संचालन के तौर तरीकों में भी सुधार आना चाहिये।

जी20 देशों के नेताओं के सम्मान में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टॉनी एबट ने क्विंसलैंड संसद भवन में भोज का आयोजन किया था। इस मौके पर सभी नेता बिना सहायकों के मिले। भोज का आयोजन दोपहर में ब्रिस्बेन सम्मेलन केन्द्र में दुनिया के विकसित और विकासशील देशों के समूह जी20 का शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि सुधारों को लोगों द्वारा ही आगे बढ़ाया जाना चाहिये, इसे चालाकी के साथ गुपचुप तरीके से नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने जोर देते हुये कहा कि सुधारों को जन केन्द्रित और जन-चालित होना चाहिये। दुनियाभर में यह धारणा है कि सुधार सरकार का कार्यक्रम है और यह जनता पर बोझ के समान है, इस स्थिति को बदलने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सुधार एक बहुस्तरीय प्रक्रिया है और इसे संस्थागत रूप दिया जाना चाहिये। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे प्रौद्योगिकी के साथ बढ़ाया जाना चाहिये और इससे समस्याओं को जड़ से दूर करने में सक्षम होना चाहिये।

जी20 शिखर सम्मेलन के मेजबान देश ऑस्ट्रेलिया ने कर चोरों के खिलाफ कारवाई के बारे में कल काफी आक्रमक रुख अपनाया। भारत भी दुनिया में कर चोरों की पनाहगाह बने क्षेत्रों के खिलाफ जी20 द्वारा कड़ी कारवाई चाहता है।

कालेधन के खिलाफ भारत ने आवाज ऐसे समय उठाई है जब भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले चाहते हैं कि जी20 देशों को सार्वजनिक रजिस्टर बनाकर सीमापार अवैध धन के प्रवाह को रोकना चाहिये। रजिस्टर में उन लोगों का खुलासा होना चाहिये जो कंपनियों अथवा व्यावसाय के मालिक हैं, अथवा उस पर नियंत्रण रखते हैं, कारोबार से फायदा उठाते हैं, लेकिन अपनी पहचान छुपाने के लिये मुखौटा कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं और कर देने से बचते हैं।

दुनिया के प्रत्येक महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाले नागरिक समाज के 24 नेताओं के संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने जी20 नेताओं को एक खुला पत्र भेजा है जिसमें उनसे भ्रष्टाचार रोकने के लिये कड़ी कार्रवाई करने और वैश्विक प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाने का आग्रह किया गया है।
पारदर्शिता और स्पष्टता के सिद्धांत स्थापित करना जी20 के भ्रष्टाचार रोधी कार्य समूह का केन्द्र बिंदु रहा है और यह लंबे समय से उसके एजेंडा में है।
एबट ने अपने शुरुआती टिप्पणी में कहा, ‘‘हां, हम मुक्त व्यापार चाहते हैं और हम ऐसा करेंगे। हां, हमें अधिक बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है और हम इसका निर्माण करेंगे।’’

एबट ने कहा, ‘‘इस कमरे के आसपास एकत्रित लोग, दुनिया के बहुत शक्तिशाली और प्रभावशीली लोग हैं।’’ एबट ने बात अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की उपस्थिति को देखते हुये कही।

उन्होंने कहा, ‘‘हम हर समय सहमत होने में कामयाब नहीं हो सकते हों लेकिन मुझे उम्मीद है कि हम कम से कम एक दूसरे के समक्ष खुलकर बात कर सकते हैं।’’