Bloodbath in Share Market: बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ गया है और भारतीय स्टॉक मार्केट लगातार पांचवें सत्र में गिरावट पर है। आज (11 फरवरी 2025) सेंसेक्स 1200 अंक से अधिक टूट गया जबकि निफ्टी 23,000 के नीचे चला गया। कारोबार बंद होने के समय बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 1015.25 अंक गिरकर 76,296.55 पॉइन्ट पर बंद हुआ। जबकि Nifty 50 आज 311.10 अंक गिरकर 23,070 पर रह गया।

सभी प्रमुख सेक्टर लाल निशान में बंद हुए। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 3.9% गिर गया, जबकि मिडकैप इंडेक्स 3.5% लुढ़क गया। HDFC बैंक, ICICI बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बैंकिंग दिग्गजों को 3% तक का नुकसान हुआ। शेयर बाजार में पिछले तीन दिन में सेंसेक्स 2500 से ज्यादा अंक लुढ़क गया है। आपको बताते हैं कि आखिर क्यों भारतीय बाजार में हर दिन गिरावट आ रही है और निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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शेयर बाजार में आई गिरावट के टॉप-4 मुख्य कारण…

वैश्विक दबाव: स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ बढ़े
बाजार की उथल-पुथल में बढ़ोत्तरी करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25% का टैरिफ लगाकर व्यापार के तनाव को और बढ़ा दिया। पहले के विपरीत कोई देश-विशिष्ट छूट नहीं होगी, जिससे कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण कोरिया से आयात प्रभावित होगा। अमेरिकी उद्योगों की सुरक्षा के उद्देश्य से लिए गए इस फैसले से संभावित वैश्विक व्यापार युद्ध के बारे में चिंताएं पैदा हो गई हैं, जो भारत जैसे उभरते बाजारों को और प्रभावित कर सकता है।

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FPS की बिकवाली से बाजार बुरी तरह प्रभावित

विदेशी निवेशक पिछले साल अक्टूबर से आक्रामक रूप से भारतीय शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं, जो मुख्य रूप से बढ़ती अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और मजबूत डॉलर के कारण है। अकेले फरवरी में अब तक FII ने कैश सेगमेंट में 12,643 करोड़ रुपये बेचे हैं। अक्टूबर के बाद से कुल निकासी 2.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।

यूएस बॉन्ड यील्ड और मजबूत डॉलर दबाव

अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेज वृद्धि ने बाजार की धारणा को और प्रभावित किया है। यूएस 10-वर्षीय ट्रेजरी यील्ड अब 4.495% है, जिससे अमेरिकी संपत्ति वैश्विक निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक हो गई है।

स्मॉल और मिडकैप में वैल्यूएशन संबंधी चिंताएं

छोटे और मिडकैप शेयरों में महत्वपूर्ण सुधार के बावजूद, विश्लेषकों का मानना ​​है कि वैल्यूएशन के मामले में ये शेयर अभी भी काफी आगे हैं। परिणामस्वरूप, बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप सूचकांकों में 3% से अधिक की तेज गिरावट देखी गई है। इससे सूचकांकों और निवेशकों की धारणा पर भी दबाव बढ़ रहा है।