बैंक का कर्ज यदि नहीं लौटाया तो कर्ज लेते समय गारंटी स्वरूप रखी गई संपत्ति या प्रतिभूति को बैंक जब्त कर सकता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ऐसे प्रावधान वाले कानून को मंजूरी दे दी। इस कानून का मकसद बैंकों के कर्ज की वसूली में तेजी लाना और फंसे कर्ज का समाधान करना है। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ने प्रतिभूति हित का प्रवर्तन और कर्जवसूली कानून व विविध प्रावधान (संशोधन) कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इसे अधिसूचित कर दिया गया है।

इस कानून में चार कानूनों- वित्तीय अस्तियों का पुनर्गठन व प्रतिभूतिकरण और प्रतिभूति हित का प्रवर्तन (सरफेइसी) कानून, 2002, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के कर्ज बकाए की वसूली (आरडीडीबीएफआइ) कानून, 1993, भारतीय स्टांप कानून, 1899 और डिपोजिटरीज कानून 1996 में संशोधन किया गया है।

साथ ही कर्जवसूली न्यायाधिकरण (डीबीटी) की ओर से बैंकों व वित्तीय संस्थानों के लंबित मामलों के त्वरित निपटान के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। अधिकारियों के अनुसार नया कानून कृषि भूमि के लिए कर्ज लेने के साथ-साथ छात्रों को दिए जाने वाले कर्ज पर लागू नहीं होगा। लोकसभा ने इसे एक अगस्त को पारित किया जबकि राज्यसभा ने नौ अगस्त को इसे मंजूरी दी थी।

विजय माल्या पर बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए बकाया और उनके देश से बाहर चले जाने के मामले के लिहाज उक्त कानून का बनना अहम है। सरफेइसी कानून में बदलाव कर्जदाताओं के कर्ज नहीं लौटाने की स्थिति में उसके एवज में गिरवी रखी चीजों को जब्त करने का अधिकार देता है। आरडीडीबीएफआइ कानून डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति उम्र को 62 से बढ़ाकर 65 करता है।

यह चेयरपर्सन की सेवानिवृत्ति आयु को भी 65 से बढ़ाकर 67 करता है। यह पीठासीन अधिकारियों और चेयरपर्सन को पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र बनाता है। कानून में यह भी प्रावधान है कि वित्तीय संपत्ति (कर्ज व गिरवी) के अंतरण के लिए संपत्ति पुनर्गठन कंपनियों के पक्ष में सौदों पर स्टांप शुल्क नहीं लगाया जाएगा।