विप्रो प्रमुख अजीम प्रेमजी देश और दुनिया के प्रमुख दानवीरों में से एक हैं। उनकी परोपकारी संस्थाओं को बीते पांच सालों में डिविडेंड्स और बायबैक के माध्‍यम से 18,000 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की राशि‍ मिली है। इस राश‍ि में 2019 के बाद ज्‍यादा इजाफा देखने को मि‍ला। वास्‍तव में 2019 में अजीम प्रेमजी ने कहा था कि विप्रो में 67 फीसदी शेयर हिस्सेदारी से होने वाली इनकम दान की जाएगी। आपको बता दें क‍ि अजीम प्रेमजी की डायरेक्‍ट और इन डायरेट तौर पर विप्रो में 73 फी जिसदी जिस्‍सेदारी है।

आपको बता दें क‍ि अजीम प्रेमजी की अजीम प्रेमजी ट्रस्‍ट और अजीम प्रेमजी परोपकारी पहल को प्रमोटर ग्रुप के हिस्से के रूप में क्लासीफाई किया गया है। इनकी कंपनी में क्रमश: 10.2 फीसदी और 0.27 फीसदी हिस्सेदारी है। इन दोनों संस्‍थाओं को बीते कुछ सालों में काफी अच्‍छा डिविडेंड मिला है। विप्रो ने पिछले 5 साल में 4 बार शेयर बायबैक किए हैं। जिसकी वजह से दोनों ही संस्‍थाओं की मोटी कमाई देखने को मिली है।

पांच सालों में चार बार किए शेयर बायबैक : 2017 से लेकर 2021 तक पांच सालों में विप्रो ने चार शेयर बायबैक करने की घोषणा की है। जिसके बाद 2017 में इन दोनों संस्‍थाओं के खातों में 1964 करोड़ रुपए, 2018 में 5894 करोड़ रुपए, 2020 esa 1318 करोड़ रुपए और 2021 में 8156 करोड़ रुपए हैं। 2020 के बायबैक से हुई कमाई का 86 फीसदी हिस्‍सा दोनों संस्‍थाओं को दिया गया। 2020 में बायबैक से 9500 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। वहीं अगस्‍त 2019 में उन्‍हें 10500 करोड़ रुपए में से 3 फीसदी राश‍ि मिली थी। लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि प्रेमजी के कंट्रोल वाली दूसरी कंपनियों द्वारा बेचे गए शेयरों का फायदा मिलेगा या नहीं।

अजीम प्रेमजी ने साल 2020 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को खड़ा किया था। जिसका पूरा फोकस प्राइमरी एजुकेशन पर था। Azim Premji Philanthropic Initiatives की नींव 2014 में रखी गई थी। यह संस्‍था वंचितों के बीच काम करने वाली संस्थाओं को अनुदान देती है। फाउंडेशन में 1,000 से ज्‍यादा कर्मचारी काम करते हैं। इसके देश के 6 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 40 से अधिक जिलों में फील्ड इंस्टीट्यूट हैं। आपको बता दें क‍ि एडेलगिव फाउंडेशन और हुरुन इंडिया ने अजीम प्रेमजी को बीते 100 सालों में दुनिया का 12वां सबसे बड़ा दानवीर बताया था।