बेहतर मॉनसून, तेज सुधार और केंद्र में समय पर फैसले होने से भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस वित्त वर्ष की आने वाली बाकी तिमाहियों में आठ फीसद से ऊपर होगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने यह बात कही। पनगढ़िया ने कहा- मुझे पूरा विश्वास है कि यह (जीडीपी) आने वाली तिमाहियों के दौरान आठ फीसद के आंकड़े से ऊपर होगी। ऐसा इसलिए होगा कि सुधारों का भी प्रभाव होगा और मानसून भी बेहतर रहा है। हमें अभी तक इसका असर नहीं दिखा है। इससे पहले राजकाज संचालन के मामले में भी गंभीर मुद्दे थे। परियोजनाओं पर काम रुका हुआ था। केंद्र में फैसले नहीं हो रहे थे। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान खनन, निर्माण और कृषि क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण देश की आर्थिक वृद्धि दर छह तिमाहियों में सबसे कम 7.1 फीसद पर पहुंच गई।

इससे पहले पिछले साल की आखिरी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान आर्थिक वृद्धि 7.9 फीसद रही। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि 7.5 फीसद रही थी। पनगढ़िया ने माना कि पहली तिमाही में 7.1 फीसद वृद्धि कुछ कम रही है। उन्होंने कहा कि यह (अप्रैल-जून की जीडीपी वृद्धि) मेरी उम्मीदों से कुछ कम रही है। पहली तिमाही के आंकड़ों में अच्छे मॉनसून का असर शामिल नहीं है। देश की खाद्यान्न पैदावार इस साल खरीफ सत्र के दौरान 9 फीसद बढ़कर रिकार्ड 13.50 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। बेहतर मॉनसून की बदौलत इस बार चावल और दालों की पैदावार अच्छा रहने की उम्मीद है। इससे पहले पिछले साल के खरीफ मौसम में खाद्यान्न पैदावार 12.40 करोड़ टन रही थी। दालों की पैदावार ज्यादा होने से इसकी खुदरा कीमतें भी कम होंगी।