रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के उत्तराधिकारी का फैसला जल्द करने के काम में लगी सरकार इस पद के लिए जिन नामों पर विचार कर रही है उनमें भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास सहित कई नाम हैं। उच्चस्तरीय सूत्रों के अनुसार इनमें रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर उर्जित पटेल, पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन के नाम भी शामिल हैं।
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा, ‘नए गवर्नर के बारे में घोषणा समय से पर्याप्त पहले कर दी जायेगी। हम इस मामले में बेवजह अटकलें नहीं चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि चयन प्रकिया पहले से ही जारी है। राजन का कार्यकाल 4 सितंबर को समाप्त हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार का प्रयास होगा कि वह रिजर्व बैंक के अगले गवर्नर की घोषणा जुलाई अंत तक कर देगी।
सूत्रों ने कहा कि नये गवर्नर की खोज के लिए सरकार कोई समिति भी गठित नहीं करने जा रही है। इसमें मजे की बात यह है कि गवर्नर पद के कुछ दावेदार जिनके नाम वित्त मंत्रालय में चर्चा में हैं उनमें उर्जित पटेल और सुब्रमणियन के नाम शामिल हैं जिन्होंने राजन की ही तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में काम किया है। इसके अलावा राकेश मोहन भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के प्रतिनिधि रह चुके हैं। वर्तमान में इस पद पर सुबीर गोकर्ण हैं।
सूत्रों ने आगे कहा कि भट्टाचार्य का भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन के तौर पर कार्यकाल बढ़ने की संभावना कम ही लगती है। इससे यह संकेत मिलता है कि रिजर्व बैंक में शीर्ष पद के लिये उनके नाम पर विचार किया जा सकता है। भट्टाचार्य का मौजूदा कार्यकाल भी सितंबर में समाप्त हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक गवर्नर पद के लिये नये नाम की घोषणा जुलाई अंत तक होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस पद पर किसी नौकरशाह की नियुक्ति आखिरी विकल्प होगा।
राजनीतिक हमलों और रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर कार्यकाल बढ़ने अथवा नहीं बढ़ने को लेकर चल रही अटकलों के बीच राजन ने (18 जून) को घोषणा की कि वह
चार सितंबर को अपना मौजूदा कार्यकाल समाप्त होने के बाद अध्यापन के क्षेत्र में लौट जायेंगे। इसके साथ ही उनके कार्यकाल को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया। दूसरे कार्यकाल के लिए राजन के इनकार से सोमवार (20 जून) के कारोबार की शुरुआत में रुपया और शेयरों में शुरुआती गिरावट रही लेकिन संस्थानों की सक्रिय खरीदारी से जल्द ही इसमें सुधार का रुख बन गया।