वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारत के 40,000 करोड़ रुपए के सरकारी निवेश कोष एनआईआईएफ में अमेरिकी निवेश आमंत्रित करते हुए सोमवार (29 अगस्त) को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार के और विस्तार पर जोर दिया। अमेरिका की वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिट्जकर ने भी जेटली के साथ बातचीत कहा कि अमेरिका दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को संस्थागत रूप देना चाहता है ताकि इससे बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। बैठक में जेटली ने उन्हें बताया कि भारत के कई राज्य 10 से 11 प्रतिशत की वृद्धि हासिल कर रहे हैं और अमेरिकी निवेशकों के लिए इन राज्यों में निवेश के बड़े मौके हैं।

वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित मुद्दों पर विचार विमर्श किया और आपसी व्यापार बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की। प्रिट्जकर ने संसद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पारित होने का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि इससे भारत में आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रिट्जकर ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अमेरिकी अधिकारियों के साथ वार्ता को एक ढांचागत आकार दिया जाना चाहिए जिससे द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन दिया जा सके।

जेटली ने भी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच ज्यादातर चिंताओं को या तो सुलझा लिया गया है या फिर काफी हद तक उन्हें सीमित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों के विभिन्न मुख्य कार्यकारी अधिकारी व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए लगातार अमेरिकी कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। पिछले साल भारत-अमेरिका व्यापार 109 अरब डॉलर का रहा। वित्त मंत्री ने कहा कि संसद के दोनों सदनों ने इसी महीने जीएसटी विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। उन्होंने कहा कि आठ राज्यों ने पहले ही इस विधेयक को अनुमोदित कर दिया है और शेष राज्य भी जल्छ ऐसा करेंगे। अगले महीने के शुरू तक जरूरी संख्या में राज्य इसे अनुमोदित कर देंगे।

जेटली ने राष्ट्रीय निवेश एवं संरचना कोष (एनआईआईएफ) का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसमें विभिन्न अमेरिकी बीमा, पेंशन और एंडावमेंट कोष निवेश कर सकते हैं, विशेषरूप से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में। सरकार ने 40,000 करोड़ रुपए के राष्ट्रीय निवेशक एवं अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) की स्थापना पिछले साल दिसंबर में की थी। यह कोष आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नई, पुरानी तथा ठहरी परियोजनाओं में निवेश करेगा। सरकार इस कोष में 20,000 करोड़ रुपए का योगदान करेगी। शेष 20,000 करोड़ रुपए विभिन्न देशों के सरकारी संम्पत्ति प्रबंध कोषों के जरिए जुटाए जाएंगे। प्रिट्जकर भारत-अमेरिका रणनीतिक एवं व्यापारिक वार्ता की अध्यक्षता करने के लिए तीन दिन की भारत यात्रा पर आई हैं।