दुनिया की दो दिग्गज टेक कंपनियों (Tech Companies) एप्पल (Apple) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) की वर्षों पुरानी प्रतिस्पर्धा जगजाहिर है। बिल गेट्स (Bill Gates) और स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) के समय से चली आ रही इस रेस में माइक्रोसॉफ्ट ने एक बार फिर से एप्पल को पीछे छोड़ दिया है। माइक्रोसॉफ्ट जुलाई 2020 में एप्पल से पिछड़ने के बाद अब फिर से दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी (Most Valuable Company) बन गई है।

उम्मीद से कमजोर परिणाम का नतीजा

एप्पल ने बीते सप्ताह चौथी तिमाही का वित्तीय परिणाम (Financial Result) जारी किया। इसमें कंपनी का प्रदर्शन विश्लेषकों की अपेक्षा की तुलना में कमतर रहा। चौथी तिमाही का परिणाम सामने आते ही एप्पल के शेयर बाजार में लुढ़कने लगे। इससे कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा और उसकी वैल्यूएशन नीचे आ गई। दूसरी ओर माइक्रोसॉफ्ट के शेयरों में तेजी देखी गई। इसी कारण एप्पल को करीब पांच तिमाही के बाद दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी का दर्जा गंवाना पड़ गया।

सिर्फ iPhone ने करा दी 39 बिलियन डॉलर की कमाई

एप्पल ने इंवेस्टर्स कॉल (Investors Call) में बताया कि चौथी तिमाही में उसका रेवेन्यू (Revenue) 83.36 बिलियन डॉलर रहा। यह साल भर पहले की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक है, लेकिन यह प्रदर्शन विश्लेषकों की अपेक्षा से कम है। कंपनी को इस तिमाही में 84.85 बिलियन डॉलर रेवेन्यू की उम्मीद थी। इनमें से 38.87 बिलियन डॉलर सिर्फ आईफोन (iPhone) की बिक्री से हासिल हुए। एप्पल को सर्विसेज (Services) से 18.28 बिलियन डॉलर, मैक (Mac) से 9.18 बिलियन डॉलर, आईपैड (iPad) से 8.25 बिलियन डॉलर और एप्पल वॉच (Apple Watch) व एयरपॉड्स (AirPods) समेत अन्य प्रोडक्ट्स से 8.79 बिलियन डॉलर रेवेन्यू मिला।

एप्पल से तीन लाख करोड़ रुपये आगे निकली माइक्रोसॉफ्ट

उम्मीद से कमतर प्रदर्शन के चलते शुक्रवार को बाजार खुलते ही एप्पल के शेयरों (Apple Share) में करीब चार प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अभी एप्पल का वैल्यूएशन 2.43 ट्रिलियन डॉलर (करीब 180.75 लाख करोड़ रुपये) के आस-पास है। दूसरी ओर माइक्रोसॉफ्ट के शेयर (Microsoft Share) करीब एक प्रतिशत चढ़ गए। इससे माइक्रोसॉफ्ट का वैल्यूएशन 2.46 ट्रिलियन डॉलर (करीब 183.75 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। यह एप्पल की तुलना में तीन लाख करोड़ रुपये अधिक है।

चिप शॉर्टेज के दौर में ये प्रोडक्ट दिला रहे माइक्रोसॉफ्ट को बढ़त

माइक्रोसॉफ्ट की बात करें तो कंपनी को ऑफिस बिजनेस (Office Business) और क्लाउड सर्विसेज (Cloud Services) का फायदा मिल रहा है। इस समय जब टेक कंपनियां चिप शॉर्टेज (Chip Shortage) से हलकान हैं, माइक्रोसॉफ्ट को ये प्रोडक्ट प्रतिस्पर्धियों से बढ़त दिला रहे हैं। इसी कारण चिप शॉर्टेज के बाद भी माइक्रोसॉफ्ट का रेवेन्यू चौथी तिमाही में 22 प्रतिशत बढ़ गया।

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पहले भी सबसे मूल्यवान कंपनी बन चुकी है माइक्रोसॉफ्ट

हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब माइक्रोसॉफ्ट ने एप्पल को पीछे छोड़ा है और दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनी है। इससे पहले पिछले साल जुलाई में भी माइक्रोसॉफ्ट का वैल्यूएशन एप्पल की तुलना में अधिक हो गया था। तब एप्पल ने एक ही महीने में वापस माइक्रोसॉफ्ट से अपना पायदान हथिया लिया था। उसके बाद से एप्पल दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी हुई थी।