अमूल ब्रांड के तहत दूध व अन्य मिल्क प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनी गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) ग्रामीण भारत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए नई योजना के साथ मैदान में उतरने की रणनीति बना रही है।
कंपनी की योजना अपने मिल्क प्रोडक्ट्स को छोटी-छोटी पैकिंग में उपलब्ध करा लोगों के बीच अधिक से अधिक पैठ बनाने की है। ग्रामीण क्षेत्र की मांग को देखते हुए कंपनी 20 रुपये और 10 रुपये और इससे भी कम मूल्य के पैक में दूध, घी और अन्य सामान बेचने की योजना पर काम कर रही है।
देश के सबसे बड़े डेयरी ब्रांड के प्रोडक्ट लगभग सभी बड़े शहरों और मध्यम शहरों में उपलब्ध हैं। जबकि उपभोक्ताओं की मांग में ग्रामीण भारत की एक बड़ी हिस्सेदारी है। बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के अनुसार गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढी ने कहा कि ग्रामीण भारत एक बड़ा बाजार है। हमारे यूनिक क्वालिटी और टेस्ट की वजह से हमारे प्रोडक्ट ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं में बहुत लोकप्रिय होंगे।
इसलिए हम इस मांग को पूरा करने के लिए छोटे पैक उतारने की योजना बना रहे हैं। सोढी ने कहा कि नए लॉन्च होने वाले पैक अमूल के लिए गेम चेंजर साबित होंगे। अमूल अभी शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में दही और घी जैसे प्रोडक्ट को एक लीटर और आधा लीटर के पैक में बेचती है। लेकिन ग्रामीण उपभोक्ताओं में 20 रुपये के पैक वाले प्रोडक्ट की बहुत ज्यादा डिमांड है।
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की है। कंपनी दूध और दूध से बने प्रोडक्ट वित्त वर्ष 2018-19 में 13 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। इस दौरान कंपनी का टर्नओवर 33150 करोड़ रुपये था। कंपनी को अपने पाउच वाले दूध से सबसे अधिक टर्नओवर हासिल होता है।
अमूल की तरफ से हाल ही में कई वैल्यू एडेड प्रोडक्ट जैसे फ्लेवर्ड मिल्क, चॉकलेट, फ्रूट बेस्ड अमूल ट्री, कैमल मिल्क और कुल्फी की पूरी रेंज से पेश की गई है। इससे कंपनी का रेवेन्यू काफी बढ़ा है। कंपनी की इकाई अमूल फेडरेशन की क्षमता करीब 3.5 करोड़ लीटर दूध को प्रोसेस्ड करने की है। कंपनी के पास गुजरात के 18700 गांवों के 36 लाख से अधिक किसान रजिस्टर्ड हैं। कंपनी इन किसानों से रोजाना करीब 2.3 करोड़ लीटर दूध खरीदती है।

