एअर इंडिया अपने ड्रीमलाइनर विमानों में आ रही बार-बार की तकनीकी समस्या से परेशान है। कंपनी की चिंता इस बात से और बढ़ गई है कि इसको लेकर अनुबंधात्मक प्रावधानों में वित्तीय हर्जाने की कोई व्यवस्था नहीं होने से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के लिए विमान बनाने वाली बोइंग से मुआवजा प्राप्त करने के प्रयास में बाधा पैदा हो रही है।
एअर इंडिया अपने महत्त्वपूर्ण विमान ड्रीमलाइनर को बेड़े में शामिल करने के बाद से ही तकनीकी खामी व अन्य गड़बड़ी की समस्याओं से जूझ रही है। ड्रीमलाइनर को बेड़े में शामिल करने का काम तीन साल पहले शुरू हुआ था। तकनीकी खामियों के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी को कई मौकों पर बोइंग 787-800 विमानों को परिचालन से रोकना पड़ा।
इससे लंबी उड़ान में देरी और राजस्व का नुकसान हुआ। पिछले महीने ही दो बार- एक पेरिस और दूसरा कोलकाता में तकनीकी खामियों के कारण ड्रीमलाइनर के परिचालन को रोकना पड़ा। एअर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोइंग से हर्जाने को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन प्रयास अब तक सफल नहीं हुए हैं।
बोइंग के साथ हुए समझौते के तहत ड्रीमलाइनर में तकनीकी खामी के संदर्भ में वित्तीय हर्जाने का कोई प्रावधान नहीं है। अनुबंध में इस तरह के प्रावधान नहीं होने से तकनीकी गड़बड़ियों के लिए हर्जाना पाने की संभावना में समस्या आ रही है। इसके बावजूद इस संदर्भ में प्रयास किए जा रहे हैं। एअर इंडिया अपने बेड़े में पहले ही 21 ड्रीमलाइनर को शामिल कर चुकी है। छह अन्य की डिलीवरी अगस्त 2018 तक होनी है।