अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक और टैरिफ बम फोड़ा। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका द्वारा आयात की जाने वाली विदेशी दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। यह नया टैरिफ एक अक्टूबर से लागू होगा। ट्रंप ने विदेशी दवाओं पर जो टैरिफ लगाया गया है, उससे कई देशों को नुकसान पहुंच सकता है। वर्तमान में अमेरिका सबसे ज्यादा दवाएं आयरलैंड से आयात करता है। WITS (World Integrated Trade Solution) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में अमेरिका ने आयरलैंड से 36.0 बिलियन डॉलर की दवाएं आयात की थीं।
ऐसे में अमेरिका के इस एक फैसले का सबसे ज्यादा असर तो आयरलैंड पर पड़ेगा, लेकिन भारत भी इससे अछूता नहीं रहने वाला है। बात जब दवाओं की आती है तो भारत का भी अमेरिका में एक बड़ा और निर्णायक मार्केट है। अमेरिका की दवाओं की कई जरूरतों को भारत पूरा कर रहा है। ब्रान्डेड से ज्यादा जेनेरिक दवाएं भारत अमेरिका को निर्यात कर रहा है।
देश | मूल्य (अरब अमेरिकी डॉलर) | हिस्सा (%) |
आयरलैंड | 73.3 अरब डॉलर | 29.70% |
स्विट्ज़रलैंड | 21.7 अरब डॉलर | 8.80% |
सिंगापुर | 19.3 अरब डॉलर | 7.80% |
जर्मनी | 17.3 अरब डॉलर | 7.00% |
भारत | 13.1 अरब डॉलर | 5.30% |
बेल्जियम | 12.7 अरब डॉलर | 5.20% |
इटली | 12.2 अरब डॉलर | 4.90% |
चीन | 9.3 अरब डॉलर | 3.80% |
जापान | 7.5 अरब डॉलर | 3.10% |
ब्रिटेन (UK) | 7.4 अरब डॉलर | 3.00% |
ऊपर दिए गए आंकड़े से पता चलता है कि भारत का अमेरिकी बाजार में शेयर 5.30 फीसदी है। यह आंकड़ा अपने आप में ज्यादा बड़ा नजर नहीं आता है, लेकिन बात जब जेनेरिक दवाओं की आती है, भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार से ही सबसे ज्यादा कमा रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत वर्तमान में अमेरीकी की 40 फीसदी जेनेरिक दवाओं की जरूरतों को पूरा करता है। अकेले 2015 में अब तक अमेरिका को भारत से 10.5 अरब डॉलर की करीब की दवाइयां मिल चुकी हैं जो कुल दवा निर्यात का करीब एक-तिहाई है।
कंपनी का नाम | कमाई का हिस्सा (अमेरिका से कुल राजस्व का अनुमानित %) | मुख्य निर्यात/कारोबार का प्रकार |
डॉ. रेड्डीज लैब्स (Dr. Reddy’s) | 30−50% (प्रमुख जेनेरिक दवा कंपनियां) | जेनेरिक दवाएं |
सन फार्मा (Sun Pharma) | 30−50% (प्रमुख जेनेरिक दवा कंपनियां) | जेनेरिक और ब्रांडेड दवाएं |
ल्यूपिन (Lupin) | 30−50% (प्रमुख जेनेरिक दवा कंपनियां) | जेनेरिक दवाएं |
अरबिंदो फार्मा (Aurobindo Pharma) | 30−50% (प्रमुख जेनेरिक दवा कंपनियां) | जेनेरिक दवाएं |
सिप्ला (Cipla) | – | रेस्पिरेटरी और एंटीवायरल सहित जेनेरिक दवाएं |
जाइडस लाइफसाइंसेज (Zydus Lifesciences) | 30−50% (प्रमुख जेनेरिक दवा कंपनियां) | जेनेरिक दवाएं |
बायोकॉन (Biocon) | – | बायोसिमिलर, जेनेरिक और ब्रांडेड दवाएं |
ग्लेनमार्क फार्मा (Glenmark Pharma) | – | जेनेरिक दवाएं |
ग्लैंड फार्मा (Gland Pharma) | 30−50% (प्रमुख जेनेरिक दवा कंपनियां) | इंजेक्शन योग्य जेनेरिक दवाएं |
जानकार मानते हैं कि ट्रंप टैरिफ अगर विदेशी दवाओं पर अप्लाई हो जाता है, उस स्थिति में भारत की जो दवा कंपनिया हैं, उनका प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ जाएगा, उस वजह से उनका प्रॉफिट मार्जिन उतना ही कम होगा। मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 100 टैरिफ लगने से इन भारतीय दवा कंपनियों की कमाई में पांच से 10 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
वैसे एक समझने वाली बात यह है कि अगर भारतीय कंपनियों पर ट्रंप टैरिफ का असर पड़ेगा, अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहने वाला है। यह नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिकी द्वारा आयात की जाने वाली जेनेरिक दवाइयों का 45 फीसदी हिस्सा भारत से आयात किया जाता है। भारत से आयातित सस्ती दवाओं के कारण अमेरिका को काफी लाभ होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यूएस हेल्थकेयर सिस्टम ने अकेले साल 2022 में 219 अरब डॉलर बचाए थे। ऐसे में यदि इन विदेशी दवाओं पर 100 फीसदी टैरिफ लगेग तो अमेरिका में उनकी कीमत काफी बढ़ जाएगी। अगर भारत से निर्यात में कमी आती है जो अमेरिकी बाजार में ऐसी दवाओं की उपलब्धतता कम हो जाएगी और अमेरिकी अस्पतालों को भी दूसरे सप्लायर खोजने पड़ेंगे जो इतनी आसानी से नहीं मिलते।
ये भी पढ़ें- अक्टूबर से किन चीजों पर लगेगा 100 फीसदी तक टैक्स