चाहे उन्हें प्यार किया गया हो या नफरत, उनसे डरते हों या उनकी प्रशंसा की जाती हो- रामनाथ गोयनका ऐसी शख्सियत थे, जिन्हें जितना समझो, उतना ही और जानने का मन करता है। तीन अप्रैल 1904 को दरभंगा में जन्में रामनाथ गोयनका व्यापार सीखने के लिए चेन्नई गए और फ्री प्रेस जर्नल में एक डिस्पैच वेंडर के रूप में काम किया। साल 1936 में उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस की स्थापना की। साल 1941 में वह नेशनल न्यूजपेपर एडिटर्स’ कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष चुने गए। वह प्रथम संविधान सभा के सदस्य भी थे और भारतीय संविधान पर उन्होंने हस्ताक्षर किए थे।
द इंडियन एक्सप्रेस और रामनाथ गोयनका ने ब्रिटिश राज का डटकर सामना किया। साल 1948 में हिंदी दैनिक ‘दैनिक तेज’ ने रामनाथ गोयनका से संपर्क किया। सहयोग के तहत दोनों ने मिलकर चेन्नई से अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द इंडियन न्यूज क्रॉनिकल’ निकाला। लाला देशबंधु गुप्ता के निधन के बाद रामनाथ गोयनका ने इस अखबार का नाम बदलकर फिर से ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ किया।
स्वतंत्रता के बाद रामनाथ गोयनका को भारत की संविधान सभा का सदस्य नियुक्त किया गया। वह एक निर्भीक पत्रकार थे, जिन्हें इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रचंड विरोध के लिए याद किया जाता है। मित्र से विरोधी बने धीरुभाई अंबानी के साथ उनकी तीखी लड़ाई आज भी चर्चित है। पांच अक्टूबर 1991 को लंबी बीमारी से लड़ते हुए उनका निधन हो गया।