जब भी हम किसी मंदिर में जाते हैं तो प्रवेश से पहले घंटी जरूर बजाते हैं। सनातन धर्म में ये परंपरा प्राचीन समय से ही चली आ रही है।
लेकिन क्या आपको पता है कि मंदिर में प्रवेश से पहले घंटी क्यों बजाई जाती है? आइए जानते है:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटी बजाने से देवी-देवताओं की प्रतिमा में चेतना जागृत होती है।
इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि घंटी बजाने से शरीर के अंदर चेतना का संचार होने लगता है।
माना जाता है कि इससे दिमाग शांत होता ह और ध्यान लगाने में मदद मिलती है। मेडिटेशन में दिमाग को फोकस मोड में लाता है।
यही भी मान्यता है कि घंटी के ध्वनि से शरीर के सात चक्र सक्रिय हो जाते हैं। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
स्कंद पुराण के अनुसार घंटी बजाने से जो आवाज निकलती है वह 'ओम' की ध्वनि के समान होती है। मान्यता है कि घंटी बजाने से साधक को 'ओम' उच्चारण के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
यह भी मान्यता है कि जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी तब जो नाद यानी आवाज गूंजी थी वह घंटी बजाने पर भी आती है। इसी लिए घंटी को उसी नाद का प्रतीक माना जाता है।
विज्ञान के मुताबिक घंटी बजाने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है। दरअसल, घंटी बजाने से वातावरण में तेज कंपन उत्पन्न होता है जिससे आसपास के जीवाणु-विषाणु नष्ट हो जाते हैं।
घंटी चार प्रकार की होती हैं। गरुण घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा।