पुराने कलावे को पीपल या तुलसी के पौधे पर आदरपूर्वक बांधना शुभ माना जाता है।
अगर आपके पास नदी या गंगा का विकल्प हो, तो कलावा वहां प्रवाहित करें।
किसी धार्मिक कार्य, यज्ञ या हवन में पुराने कलावे की आहुति दी जा सकती है।
पुराने कलावे के छोटे टुकड़ों को व्रत की पूजा सामग्री में या कलश पर बांधने में उपयोग किया जा सकता है।
कलावे को जलाने के अलावा उसे मिट्टी में दबाना भी सही माना गया है। ऐसा करने से कलावे का अपमान नहीं होता है।
कलावे को कभी भी कूड़े में न फेंकें और पैरों के नीचे आने वाली जगह पर ना डालें।
यह स्टोरी सामान्य जानकारियों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। किसी भी विशेष जानकारी के लिए धर्म विशेषज्ञ से सलाह लें।