पूजा-पाठ के बाद आरती का काफी खास महत्व है।
काफी लोग ऐसे हैं जो पूजा के अंत में कई देवी-देवताओं की आरती करते हैं।
लेकिन क्या सारे भगवान की आरती करनी चाहिए या किसी एक की? आइए जानते हैं:
प्रेमानंद महाराज के अनुसार प्रारंभ में सबकी भक्ति का यही स्वरूप होता है।
उनके अनुसार धार्मिक माहौल वाले घर में बच्चे बचपन से ही हनुमान चालीसा, शिव चालीसा से लेकर दुर्गा चालीसा तक का पाठ करते हैं और यही भक्ति का प्रारंभिक कदम होता है।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, इसके बाद गुरु का चयन होता है। गुरु चयन के बाद ही भक्ति असली रंग लाती है।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार भक्ति से फलस्वरूप जब गुरुदेव मिलते हैं और वो जो नाम और ईष्टदेव आपके लिए चयन करते हैं उन्हीं की भक्ति करनी चाहिए।
एक भक्त आराधना सबकी करता है लेकिन प्यार उसे सद गुरुदेव के बताए हुए नाम से करना चाहिए।
यानी पूजा के दौरान आपको गुरुदेव से जो नाम मिला है उनकी आराधना करने के साथी ह आरती जरूर करनी चाहिए।