कई बार ऐसा होता है कि तमाम कोशिशों के बाद भी सफलता नहीं मिलती है और ऐसे समय में व्यक्ति उदास होकर बैठ जाता है।
लेकिन प्रेमानंद महाराज के इन अनमोल विचारों को अपने जीवन में उतार लें तो कामयाबी मिलने में देर नहीं लगेगी।
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त कहा है कि, वर्षों से मिली असफलताओं से जीवन दिशाहीन हो गया है, जो भी करता हूं गलत होता है, आत्मविश्वास डगमगा गया है, भय, दुख और अनिद्रा बढ़ गई है।
इसपर प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जब तक हमारे पूर्व पाप नष्ट नहीं होंगे तब तक हम कोई भी सफलता का कार्य करेंगे तो असफलता हमें गिरा देगी।
हम सकारात्मक सोच रखना चाहेंगे लेकिन नकारात्मक सोच में पहुंच जाएंगे। ये पाप का परिणाम होता है।
पूर्व पाप को नष्ट किए बिना सुखी नहीं रह सकते। इसलिए पाप नष्ट करने के लिए तीर्थ यात्रा,गंगा स्नान के साथ और भी हैं।
लेकिन सही सटीक पाप की जड़ का नाश कर देने वाला सिर्फ 'नाम' है।
नियमित रूप से आधा घंटा नाम कीर्तन करने से सब पॉजिटिव हो जाएगा।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार पाप आचरण को रोककर लंबे समय तक नाम जपने से सारे पाप नष्ट हो सकते हैं और कामयाबी भी मिल सकती है।