निर्जला एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे सबसे कठिन एकादशी व्रत माना गया है क्योंकि इसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत रखने से साल भर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य मिलता है।
इसके अलावा इस दिन दान का भी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान का फल सौ एकादशियों के दान के बराबर मिलता है।
इस शुभ दिन पर कुछ विशेष चीजों का दान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और व्रती पर उनकी कृपा बरसती है।
इस शुभ दिन जल का दान करना विशेष फलदायी माना गया है। तांबे, पीतल या मिट्टी के घड़े में जल भरकर राहगीरों, साधुओं या जरूरतमंदों को दान करें।
इस दिन छाते और पानी की बोतल का दान सूर्य के कष्टों को शांत करता है और शनि की साढ़ेसाती से भी राहत दिला सकता है।
इसके अलावा इस दिन जूते-चप्पल दान करने से राहगीरों को राहत मिलती है और दाता को विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन हल्के सफेद या पीले रंग के वस्त्र का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही फलों का भी दान कर सकते हैं।
इस दिन सत्तू, शक्कर या बेलपत्र दान करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है। इसके अलावा ये भी मान्यता है कि इससे पितर भी तृप्त होते हैं।