आचार्य चाणक्य ने अपने जीवनकाल में कई विशेष प्रकार की रचनाएं की। इन्हीं में से एक है चाणक्य नीति।
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के सातवें अध्याय के एक श्लोक में बताया कि व्यक्ति को किन 5 चीजों को बताने से बचना चाहिए।
अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च। वञ्चनं चाऽपमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ॥
आचार्य चाणक्य के अनुसार, धन के नष्ट होने को, मानसिक दुख को, घर के दोषों को, किसी व्यक्ति द्वारा ठगे जाने और अपना अपमान होने के बारे में किसी से न बताएं।
हर एक व्यक्ति को कभी न कभी धन हानि का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उसके मन में दुख हो सकता है।
अगर आपको किसी कारण मानसिक दुख का सामना करना पड़ा है, तो ये किसी को भी न बताएं। हर कोई आपके दुख को नहीं समझ सकता है। लेकिन हंसी अवश्य उड़ा सकता है।
हर घर में कोई न कोई दोष जरूर होता है। ऐसे में अगर इन दोषों को अगर आप दूसरों के सामने पेश करेंगे, तो इसमें आपका ही अपमान होगा।
अगर आपको किसी प्रकार से ठग लिया गया है, तो इसका जिक्र दूसरों के सामने बिल्कुल भी न करें। इससे आप अन्य के सामने बेवकूफ बन सकते हैं।
अगर आपका किसी ने अपमान किया है, तो इसके बारे में दूसरे से बात न करें, क्योंकि इससे आप अपमानित महसूस कर सकते हैं।