संत कबीर दास ने सैकड़ों साल पहले कहा था- ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए
अब संत कबीर ने तो अपना उपदेश दे दिया, लेकिन आज भी लोग इस बात का पालन नहीं कर पाते हैं
अब चाणक्य नीति कहती है कि अगर आप अपनी वाणी पर संयम नहीं रखते हैं और दूसरों का दिल दुखाते हैं, यह पाप की श्रेणी में आता है
यहां भी चाणक्य के मुताबिक अगर कोई इंसान अपने माता-पिता से गलत तरीके से बात करता है, यह सबसे बड़ा महापाप है
एक बार के लिए खराब वाणी के लिए माता-पिता अपने बच्चों को माफ कर सकते हैं, लेकिन भगवान ऐसे लोगों को कभी माफ नहीं करता
चाणक्य की मानें तो ऐसे लोग अगर पूरी जिंदगी भी पछतावा करते रहेंगे, उनके पाप नहीं धुल पाते
चाणक्य ने साफ शब्दों में कहां है कि वाणी में ऐसी ताकत होती है जो बिना हथियार के भी गहरा आघात दे सकती है
ऐसे में सोच समझ कर बोलना और अपने क्रोध पर काबू रखना ही सफल जीवन का मंत्र है