एक बार देवराज इंद्र ने क्रोध में आकर बजरंगबली की ठोड़ी (हनु) के ऊपर अपने वज्र से प्रहार किया था। इसके बाद उनका नाम हनुमान पड़ा।
जब लक्ष्मण का जीवन संकट में था, तब हनुमानजी ने ही संजीवनी बूटी लाकर उनके प्राणों की रक्षा की थी। इसलिए, उनहें लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है।
दशग्रीव यानी रावण का घमंड तोड़कर हनुमानजी ने लंका में न केवल सीता माता का पता लगाया था बल्कि लंका में आग भी लगा दी थी। यही वजह है इन्हें दशग्रीवदर्पहा भी कहा जाता है।
महाभारत के युद्ध में हनुमानजी ने अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान होकर अर्जुन की मदद की और उनके मित्र बने, इसलिए उन्हें फाल्गुनसखा नाम मिला।
पिंगाक्ष का मतलब है 'भूरी आंखों वाला'। हिंदू धर्म ग्रन्थों में हनुमानजी भूरी आंखों वाला बताया है।
विक्रम का अर्थ है 'पराक्रमी' और अमित का अर्थ है 'बहुत अधिक'। हनुमानजी के अत्यधिक पराक्रमी होने के कारण उन्हें यह नाम मिला और अमितविक्रम भी कहा जाता है।
उदधिक्रमण का मतलब है 'समुद्र को लांघने वाला'। माता सीता की खोज करने लंका जाते समय हनुमानजी ने समुद्र को लांघा था।
पवनदेव के मानस पुत्र होने के चलते महावीर को वायुपुत्र भी कहा जाता है।
हनुमानजी असीमित बल के स्वामी हैं, इसलिए इन्हें महाबल या महाबली के नाम से भी जाना जाता है।
सीता माता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी को सीताशोकविनाशन नाम दिया गया है।
अंजनी माता के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी को अंजनीसुत नाम से भी जाना जाता है।