पहाड़ों पर क्यों फटते हैं इतने ज्यादा बादल?

Aug 05, 2025, 05:09 PM
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उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित धराली क्षेत्र में कुदरत का कहर देखने को मिल रहा है। यहां बादल फटने के चलते अचानक आई बाढ़ के चलते भारी तबाही मच गई है।

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पलक झपकते ही सारा इलाका बह गया। बाढ़ के रास्ते में मकान, बाजार, बस्तियां, इंसान और मवेशी जो भी आए तिनके की तरह बह गए।

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उत्तराखंड में बादल फटने से तबाही हर साल होती है। ऐसे में आइए जानते हैं बादल ऊंचे इलाकों पर ही ज्यादा क्यों फटते हैं?

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जब बहुत ही कम समय में एक सीमित दायरे में अचानक काफी भारी बारिश होती है या फिर एक घंटे में 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश होती तो उसे बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहते हैं।

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कब फटते हैं बादल जब तापमान बढ़ने लगता है तो भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने लगते हैं और पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं। इसमें बूंदों का भार इतना ज्यादा होता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है।

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इससे एक सीमित दायरे में अचानक तेज बारिश होने लगती है जिसे बादल फटना कहते हैं।

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पहाड़ी इलाकों में क्षेत्रीय जल चक्र में बदलाव के बादल फटने का बड़ा कारण माना जाता है।

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साइंस के अनुसार, जब नमी के साथ चलने वाली हवा एक पहाड़ी इलाके तक जाती है तो बादलों का ऊध्वार्धर स्तंभ (सीधे ऊपर या नीचे की ओर) बनता है।

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बादलों की इस ऊपर की ओर गति को 'ओरोग्राफिक लिफ्ट' भी कहते हैं जिसमें अस्थिर बादलों के कारण एक छोटे से क्षेत्र में भारी बारिश होती है।

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इसके बाद बादल पहाड़ियों के बीच मौजूद दरारों और घाटियों में बंद हो जाते हैं। वहीं, बादल फटने के लिए आवश्यक ऊर्जा वायु की उर्ध्व गति से आती है।

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