काफी लोग ऐसे हैं जो मांस-मदिरा का सेवन करते हैं और पूजा-पाठ भी करते हैं।
ऐसे में आइए वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज से जानते हैं कि क्या नॉनवेज खाने वालों को पूजा का फल मिलता है या नहीं?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, मांस खाने वाले असुर राक्षस भी भगवान की पूजा-पाठ करते थे। लेकिन हमेशा जगत का अमंगल ही करते थे जिससे अंत में असुरों का ही नाश हुआ।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भले ही आप पूजा पाठ न करें लेकिन किसी के साथ गलत न करें। किसी के साथ हिंसा न करें। किसी को कष्ट न दें। अपने मन को हमेशा पवित्र रखें।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि वो पूजा ही क्या पूजा है जिसमें आप मांस मछली भी खाते हैं, किसी के साथ गलत भी करते हैं। वो तो सिर्फ एक नाटक हुआ।
असली पूजा दूसरों को सुख देना है। किसी निर्धन की मदद करना है। हमारा व्यवहार हमारा आचरण पवित्र हो वही असली पूजा मानी जाती है।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, मांस-मदिरा का सेवन करने वालों की पूजा भगवान कभी भी स्वीकार नहीं करते हैं।
जो मनुष्य मांस खाता है और फिर पूजा पाठ करता है तो उस तरह की पूजा से उसे जीवन में कभी भी लाभ नहीं मिलने वाला है।