थोड़ी सी दया इस दुनिया को कम कठोर और अधिक न्यायपूर्ण बना देती है।
दुनिया हमें सफलता, शक्ति और पैसे की तलाश करने को कहती है। लेकिन ईश्वर हमें विनम्रता, सेवा और प्रेम की खोज में लगने को कहते हैं।
हम यह न भूलें कि सच्ची शक्ति सेवा में निहित है।
आप भूखों के लिए प्रार्थना करते हैं। फिर आप उन्हें खाना खिलाते हैं। यही प्रार्थना का सही तरीका है।
हम सभी का कर्तव्य है कि हम अच्छा करें।
ईश्वर का नाम ही दया है।
हम सभी के पास अच्छाई और बुराई की अपनी-अपनी दृष्टि है। हमें लोगों को उस ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जो वे अच्छा मानते हैं।
पैसे से सेवा करनी चाहिए, शासन नहीं।
आनंद रूप बदलता है, लेकिन वह हमेशा बना रहता है, चाहे वह एक छोटी सी लौ ही क्यों न हो । यह उस विश्वास से उपजता है कि हम असीम प्रेम के पात्र हैं।
पोप फ्रांसिस कहते ने कहा था कि नदिया अपना जल नहीं पीतीं, पेड़ अपने फल नहीं खाते, सूरज खुद पर नहीं चमकता। दूसरों के लिए जीना ही प्रकृति का नियम है।