Jun 25, 2025
भारत के महान विचारक, राजनीतिज्ञ और विद्वान आचार्य चाणक्य ने जीवन के हर पहलू को लेकर गहन विचार प्रस्तुत किए हैं। उनकी नीति आज भी लोगों को मार्गदर्शन देने का कार्य करती है।
चाणक्य नीति में बताया गया है कि व्यक्ति को कब, क्या और कैसे करना चाहिए ताकि वह जीवन में सफलता प्राप्त कर सके।
इसी नीति में यह भी बताया गया है कि जीवन में किन लोगों से दुश्मनी नहीं मोल लेनी चाहिए क्योंकि ऐसा करना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होता है।
आइए जानते हैं कि चाणक्य के अनुसार किन तीन प्रकार के लोगों से दुश्मनी करना व्यक्ति को भारी पड़ सकता है:
चाणक्य नीति के अनुसार, किसी राजा से दुश्मनी करना आत्मघाती हो सकता है। आज के परिप्रेक्ष्य में इसका तात्पर्य है — सरकार, प्रशासन या किसी ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति से अनावश्यक शत्रुता मोल न लेना।
चाणक्य का मानना था कि जो व्यक्ति सत्ता में होता है, उसके पास अधिकार और संसाधनों की ताकत होती है। वह चाहे तो किसी की भी जिंदगी प्रभावित कर सकता है। इसलिए समझदारी इसी में है कि ऐसे लोगों से दूर रहें और सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखें।
धन का मतलब केवल पैसे से नहीं बल्कि संसाधनों, संपर्कों और प्रभाव से भी है। चाणक्य नीति कहती है कि एक धनवान व्यक्ति यदि दुश्मनी पर उतर आए तो वह अपने धनबल के कारण किसी को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
उसका एक इशारा भी सामने वाले के लिए संकट बन सकता है। इसलिए कभी किसी धनी व्यक्ति से टकराव न करें, बल्कि उसे समझदारी और संतुलन के साथ संभालें।
बलवान अर्थात शारीरिक या मानसिक रूप से ताकतवर व्यक्ति से दुश्मनी लेना भी मूर्खता मानी जाती है। चाणक्य कहते हैं कि बलवान व्यक्ति अगर आक्रोशित हो जाए तो वह कुछ भी कर सकता है।
वह अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकता है। ऐसे लोगों से लड़ाई मोल लेना अपने लिए खुद संकट बुलाने जैसा होता है। चाणक्य का सुझाव है कि ऐसे लोगों से हमेशा दूरी बनाकर रखें और विवादों से बचें।
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