आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र की रचना की थी जिसमें उन्होंने छात्रों के बारे में भी कई बातें लिखी हैं।
नीति शास्त्र में लिखी गई बातों को अगर छात्र अपने जीवन में उतार लें तो सफल होने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता है।
चाणक्य नीति के अनुसार छात्रों को ये आठ आदतें तुरंत छोड़ देनी चाहिए।
छात्रों में काम की भावना नहीं होनी चाहिए। यह उन्हें असफल बना सकती है।
छात्र जीवन में क्रोध का भी त्याग कर देना चाहिए।
विद्यार्थी जीवन में स्वादिष्ट भोजन की इच्छा नहीं रखनी चाहिए।
चाणक्य नीति के अनुसार जो छात्र पढ़ाई से ज्यादा महत्व अपने शरीर के श्रृंगार को देते हैं वो भी असफल रह जाते हैं।
नीति शास्त्र के अनुसार छात्रों को अत्यधिक खेलना भी नहीं चाहिए। दरअसल, ज्यादा खेलने से शरीर थक जाएगा और आप पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएंगे।
छात्र जीवन में नींद का त्याग कर पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
चाणक्य नीति के अनुसार अति सेवा का भी छात्रों के अंदर गुण नहीं होना चाहिए।
लोभी व्यक्ति कभी सफल नहीं होता है और सफल हुआ भी तो एक दिन उसकी दुर्गति हो जाती है। ऐसे में छात्रों को लोभ का त्याग कर देना चाहिए।