आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई नीति शास्त्र बताया गया है कि किस तरह के लोग मनुष्य के रूप में जानवर के समान है।
चाणक्य नीति के अनुसार जिनके अंदर विद्या का भाव नहीं होता है वह मनुष्य धरती पर किसी जानवर से कम नहीं है।
जिस मनुष्य के अंदर तप का भाव नहीं है वह मनुष्य भी धरती पर विचरते पशु के समान है।
शास्त्रों में दान का काफी खास महत्व है। चाणक्य नीति में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के अंदर दान का भाव नहीं होता है वो जानवर के सामन होता है।
जिस व्यक्ति के अंदर किसी भी तरह का ज्ञान नहीं है उसका भी जीवन व्यर्थ है। ऐसे लोग भी मनुष्य के रूप में विचरते पशु हैं।
हर किसी में कोई न कोई गुण जरूर होता है। लेकिन जिनके अंदर कोई गुण नहीं है ऐसे लोग भी चाणक्य नीति के अनुसार धरती पर मनुष्य के रूप में जानवर के समान हैं।
जिन लोगों को अंदर शीलता यानी नैतिक आचरण और व्यवहार दूर-दूर तक नहीं हैं ऐसे लोग भी जानवर के समान होते हैं।
जिस व्यक्ति के अंदर धर्म भाव नहीं है वह भी पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में विचरते पशु के समान है।