ब्रिटिश शाही परिवार का हिस्सा बनना सुनने में जितना सपनों जैसा लगता है – ताज, महल, शाही ठाठ-बाट और सदियों पुराना इतिहास – हकीकत में इसके पीछे कई सख्त नियम भी छुपे होते हैं। खासकर खाने-पीने के मामले में शाही परिवार को कई ऐसी पाबंदियों का पालन करना पड़ता है, जिनके बारे में आम लोग शायद ही जानते हों।
इन नियमों का कारण कभी स्वास्थ्य और सुरक्षा होता है, तो कभी शाही परंपरा या फिर किसी सम्राट की निजी पसंद, जो समय के साथ एक ‘अनलिखे कानून’ बन गए। शाही परिवार के डाइनिंग टेबल पर सब कुछ परोसा नहीं जाता।
कुछ चीजें तो बिल्कुल ही वर्जित हैं, चाहे वजह बीमारी से बचाव हो, सामाजिक शिष्टाचार हो या फिर नैतिक कारण। आइए जानते हैं उन 7 चीज़ों के बारे में जिन्हें ब्रिटिश शाही परिवार खाने से बचता है –
झींगे, लॉब्स्टर, केकड़े और ऑयस्टर जैसी शेलफिश शाही मेन्यू में शामिल नहीं होतीं। वजह है – इनके सेवन से फूड पॉयजनिंग और एलर्जी का खतरा, खासकर जब इन्हें कच्चा खाया जाए।
विदेश दौरों और व्यस्त कार्यक्रमों के बीच किसी भी सदस्य का बीमार पड़ना शाही परिवार के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है, इसलिए इस जोखिम से पूरी तरह बचा जाता है। शाही परिवार के सदस्य किसी यात्रा या सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान बीमार पड़ने का रिस्क नहीं ले सकते, इसलिए यह पूरी तरह से मेन्यू से बाहर है।
यह सुनकर शायद आप चौंक जाएं, लेकिन शाही परिवार के ऑफिशियल मेन्यू में लहसुन की जगह नहीं होती। इसकी वजह स्वास्थ्य नहीं बल्कि सामाजिक शिष्टाचार है।
लहसुन की तेज गंध आधिकारिक भोज और समारोहों में, जहां करीब से बातचीत करनी पड़ती है, अच्छी नहीं मानी जाती। इसलिए शेफ इसे मेन्यू से हटा देते हैं ताकि मेहमानों से बातचीत ताजगी भरी और सुखद रहे।
राजा चार्ल्स तृतीय ने नैतिक कारणों से फोआ ग्रा को शाही महलों से बैन कर दिया। यह डिश बत्तख या हंस के लिवर से बनाई जाती है, जिन्हें जबरदस्ती ज्यादा खिलाकर मोटा किया जाता है। पशु क्रूरता से जुड़ी इस प्रक्रिया को लेकर काफी आलोचना होती रही है और राजा ने इस पर सख्त रुख अपनाया।
शाही परिवार मांस को पूरी तरह पकाकर खाना पसंद करता है। इसका कारण भी स्वास्थ्य सुरक्षा है—कच्चा या अधपका मांस खाने से फूड पॉइज़निंग का खतरा बढ़ जाता है। यह “सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा” वाला नियम पीढ़ियों से चला आ रहा है।
स्वर्गीय महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के दौर में फॉर्मल भोज में पास्ता, चावल या आलू जैसे भारी कार्ब्स परोसने से परहेज किया जाता था। उनकी पसंद हल्के और एलिगेंट व्यंजन जैसे ग्रिल्ड मछली या सब्जियां थीं, ताकि भोज का माहौल सादगी और स्वास्थ्य दोनों बनाए रखे।
विदेश यात्राओं के दौरान शाही परिवार नल का पानी पीने से बचता है, चाहे वह वहां सुरक्षित ही क्यों न माना जाए।
अलग-अलग देशों में पानी के स्रोत और फिल्टरिंग सिस्टम अलग होते हैं, और जरा-सी गड़बड़ी पेट खराब कर सकती है जो उनके व्यस्त कार्यक्रम को बिगाड़ सकती है। इसलिए वे सिर्फ बोतलबंद पानी पर भरोसा करते हैं।
चाहे सड़क किनारे बिकने वाले व्यंजन कितने भी लुभावने क्यों न हों, शाही परिवार उनसे दूरी बनाए रखता है। इसकी वजह शान-ओ-शौकत नहीं, बल्कि स्वच्छता और सुरक्षा है।
वे न तो मसालेदार चाट खाते हैं, न ही तली-भुनी सड़क किनारे की डिश। दरअसल, अनियमित या बिना जांच वाले विक्रेताओं के खाने में संक्रमण का खतरा अधिक होता है, इसलिए यात्रा के दौरान भी यह पूरी तरह से ‘नो’ लिस्ट में रहता है।