Dec 15, 2025

इस विज्ञापन से पहले नहीं था सांता क्लॉज का कोई तय रूप, जानिए कैसे बना लाल कपड़ों वाला सांता

Archana Keshri

आज जब भी हम सांता क्लॉज़ की कल्पना करते हैं, तो एक हंसमुख बूढ़े व्यक्ति की तस्वीर सामने आती है, लाल सूट, सफेद दाढ़ी, काली बेल्ट और सिर पर टोपी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह छवि हमेशा से ऐसी नहीं थी? दरअसल, कोका-कोला के मशहूर विज्ञापन से पहले सांता क्लॉज़ का कोई एक तय रूप नहीं था।

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कोका-कोला से पहले कैसे दिखते थे सांता?

उन्नीसवीं और शुरुआती बीसवीं सदी में यूरोप और अमेरिका की पेंटिंग्स, चित्रों और लोककथाओं में सांता क्लॉज़ कई अलग-अलग रूपों में नजर आते थे। कहीं वे हरे, भूरे या नीले रंग के लबादे में दिखाई देते थे, तो कहीं वे किसी जंगल के आत्मा जैसे लगते थे।

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कुछ चित्रों में वे बर्फीले इलाकों के यात्री जैसे थे, तो कहीं चर्च से जुड़े संत की तरह गंभीर और शांत। इस विविधता की वजह थी सांता क्लॉज़ की कहानी का मिश्रित इतिहास।

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उनका चरित्र सेंट निकोलस, यूरोपीय लोककथाओं, नॉर्स मिथकों और स्थानीय परंपराओं से मिलकर बना था। अलग-अलग देशों और संस्कृतियों में लोग उन्हें अपने-अपने तरीके से चित्रित करते थे, इसलिए उनकी कोई एक वैश्विक पहचान नहीं बन पाई थी।

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1932 में बदली तस्वीर

सब कुछ बदल गया साल 1932 में, जब मशहूर सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड कोका-कोला ने अपने क्रिसमस विज्ञापन अभियान के लिए कलाकार हैडन सन्डब्लोम (Haddon Sundblom) को नियुक्त किया। सन्डब्लोम ने सांता क्लॉज़ को एक बिल्कुल नए अंदाज में पेश किया, एक गर्मजोशी से भरा, मुस्कुराता हुआ, इंसानों जैसा दोस्ताना बूढ़ा व्यक्ति।

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उन्होंने सांता को चमकीले लाल सूट में दिखाया, जो कोका-कोला के ब्रांड कलर से मेल खाता था। सफेद दाढ़ी, गुलाबी चेहरा और हंसमुख भावों ने सांता को डरावनी या रहस्यमयी छवि से निकालकर परिवारों और बच्चों के बेहद करीब ला दिया।

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विज्ञापन से बनी वैश्विक पहचान

कोका-कोला के ये विज्ञापन अखबारों, मैगज़ीनों और पोस्टरों के जरिए पूरी दुनिया में फैल गए। लोगों को यह नया सांता इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे यही रूप सबसे ज्यादा पहचाना जाने लगा। समय के साथ लाल सूट वाला सांता क्लॉज़ क्रिसमस का प्रतीक बन गया।

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बिना किसी जबरदस्ती के, यह छवि इतनी लोकप्रिय हुई कि पुराने हरे, भूरे और नीले कपड़ों वाले सांता इतिहास के पन्नों में सिमटते चले गए।

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आज का सांता: एक ब्रांड से बना प्रतीक

आज सांता क्लॉज़ सिर्फ एक लोककथा का पात्र नहीं, बल्कि एक वैश्विक सांस्कृतिक आइकन हैं। उनकी जो छवि हम आज देखते हैं, वह किसी प्राचीन ग्रंथ से नहीं, बल्कि एक विज्ञापन अभियान से निकली है।

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कोका-कोला ने न सिर्फ एक ब्रांड बेचा, बल्कि अनजाने में पूरी दुनिया को सांता क्लॉज़ का एक स्थायी चेहरा दे दिया। इस तरह, एक विज्ञापन ने इतिहास, परंपरा और कल्पना को जोड़कर सांता क्लॉज़ को वह रूप दिया, जिसे आज पूरी दुनिया पहचानती है।

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