भारतीय रेलवे से आपने भी कभी न कभी सफर जरूर किया होगा। अगर आपने कभी गौर किया हो तो देखा होगा कि रेलवे स्टेशन का नाम हमेशा पीले साइन बोर्ड पर लिखा हुआ नजर आता है।
इन्हें देखने के बाद आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि रेलवे स्टेशन का नाम लिखने के लिए रेलवे किसी दूसरे रंग का इस्तेमाल क्यों नहीं करता?
दरअसल, इसके पीछे एक नहीं बल्कि कई खास कारण हैं। रेलवे स्टेशन का नाम पीले बोर्ड पर लिखे जाने का पहला कारण यह है कि पीला रंग बहुत चमकदार होता है जो ट्रेन ड्राइवर को दूर से ही दिखाई दे जाता है।
इसके अलावा ये पीले रंग के बोर्ड ट्रेन के लोको पायलट को गाड़ी की गति धीमी करने, सतर्क रहने और ठहरने का संकेत भी देते हैं।
आपने देखा होगा कि कई रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनें नहीं रुकती हैं। लेकिन इन पीले बोर्डों की वजह से लोको पायलट स्टेशन में प्रवेश करने से लेकर बाहर निकलने तक हॉर्न बजाते रहते हैं ताकि स्टेशन पर मौजूद यात्री सतर्क हो जाएं और रेलवे ट्रैक पर न पहुंचें।
अन्य रंगों की तुलना में पीला रंग रात के अंधेरे में भी दूर से दिखाई दे जाता है। इस रंग पर काले रंग से लिखा स्टेशन का नाम भी दूर से पढ़ा जा सकता है।
इसके पीछे वैज्ञानिक कारण ये है कि पीले रंग की वेवलैंथ 570 से 590 नैनोमीटर होती है। यह लाल रंग के बाद सबसे अधिक वेवलैंथ वाला रंग है।
इसका मतलब है कि पीला रंग लाल रंग की तुलना में 1.24 गुना अधिक दिखाई देता है। इसके अलावा यह रंग आंखों को भी काफी सुकून देता है।