तीसमार खां कहावत लगभग हर किसी ने एक न एक बार जरूर सुनी होगी। लेकिन क्या आपको पता है कि असली तीसमार खां कौन था? अगर नहीं तो चलिए हम बताते हैं।
वैसे तो इससे जुड़े कई दावे किए जाते हैं लेकिन सबसे पुष्ट दावा हैदराबाद के छठवें निजाम से जुड़ा है।
हैदराबाद के 6वें निजाम मीर महबूब अली खान (1869 से 1911 तक निजाम रहे) को शिकार का शौक था।
अपनी रियासत में वो अक्सर कई दिनों तक कैंप लगाकर शिकार किया करते थे।
इतिहासकारों की मानें तो, हैदराबाद का निजाम बनने के बाद उन्होंने अपनी रियासत में 30 बाघों का शिकार किया था। उन दिनों इसे बहुत ही बहादुरी का काम माना जाता था।
इसके बाद महबूब अली खान का नाम बहादुरी के तौर पर 'तीसमार खां' (30 जानवरों को मारने वाला) लिया जाने लगा।
हालांकि, मीर महबूब अली खान सिर्फ शिकार ही नहीं बल्कि उर्दू, फारसी और अरबी साहित्य के भी अच्छे जानकार थे।
इतिहासकारों की मानें तो, वो कविताएं लिखने के साथ ही अक्सर महफिलों में भी शिरकत किया करते थे।