Dec 14, 2023 Vivek Yadav

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किसने गाया था पहली बार 'संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे', जानिए असली किस्सा

अंडे को पोषक तत्वों का खजाना कहा जाता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड के साथ ही कई सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं। अंडे को लेकर 'संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे' हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं।

पोषक तत्वों का खजना है अंडा

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ये लगभग हर किसी ने सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि सबसे पहले किसने ये स्लोगन दिया था। आइए जानते हैं इसके पीछे का किस्सा।

किसने दिया था ये स्लोगन

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बात 1981 की है जब अंडे का व्यापार पूरी तरह से ठप्प पड़ा था और इससे जुड़ा हर व्यापारी घाटे में चल रहा था। मार्केट में फिर से जगह बनाने के लिए श्रेय वेंकटेश्वर हैचरीज लिमिटेड के डॉ बीवी राव ने 'राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिति (NECC) बनाया।

ठप्प पड़ी थी अंडे की मार्केट

इसका मकसद था अंडा व्यापार को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना। इसके तहत पहला मकसद अंडे की कीमतों को सेट करना और फिर मार्केटिंग करना था।

अंडे व्यापार को नई रफ्तार

समिति ने सबसे पहले अखबारों के जरिए लोगों को जागरूक किया कि अंडा प्रेग्नेंट महिलाओं से लेकर बच्चों तक के लिए ये कितना फायदेमंद है।

जागरूकता अभियान

यहां से अंडा फिर से मार्केट में रफ्तार पकड़ने लगा और विज्ञापन के जरिए लोगों को इसके फायदे के साथ ही डिशेज के बारे में बताया जाने लगा।

फिर मार्केट में आया अंडा

भारतीय विज्ञापन की दुनिया के बादशाह कहे जाने वाले आनंद गलवे ने 'हैव यू हैड एन एग टुडे' स्लोगन दिया।

खूब चला ये भी विज्ञापन

इसी बीच देवांग पटेल ने विज्ञापन में गाना गया 'संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे' जो आज तक हर व्यक्ति के दिमाग में बैठ गया।

देवांग पटेल का स्लोगन हुआ अमर