Mar 30, 2024
आज हम जानते हैं कि धरती गोल है। वह अपनी धुरी पर घूम रही है। सूर्य का चक्कर लगा रही है, जिसकी वजह से मौसम बदलते हैं, दिन और रात होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले किसने बताया था कि धरती गोल है?
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कहा जाता है कि 500 ईस्वी पूर्व में पाइथागोरस ने कहा था कि धरती गोल है, लेकिन उनके पास इसे लेकर कोई तर्क नहीं था।
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कोई तर्क न होने के कारण लोगों ने पाइथागोरस पर विश्वास नहीं किया था। उस समय कुछ लोग मानते थे कि धरती सपाट है, तो कुछ लोगों ने इसे चौकोर बताया।
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फिर 350 ईस्वी पूर्व में अरस्तु ने पृथ्वी के गोल होने के संबंध में तर्क दिए। उन्होंने कहा कि समुद्र में दूर जाने वाले जहाज का नीचे का हिस्सा पहले गायब होता है और आखिर में सबसे ऊंचा हिस्सा।
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उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उत्तर में मौजूद ध्रुव तारा दक्षिणी गोलार्ध में नहीं दिखता, ऐसा सिर्फ गोलाकार स्फियर में ही मौजूद है।
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इस अवधारणा को फिर और भी ज्यादा स्पष्ट 250 ईस्वी पूर्व के आसपास एरेटोस्थेनेज ने किया।
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एरेटोस्थेनेज ने गणितीय गणना के अनुसार पृथ्वी का सरकम्फ्रेंस निकाला और बताया कि यह 40 हजार किलोमीटर है। आज के समय में भी इसे 40,075 किलोमीटर माना जाता है।
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अगर भारत की बात करें तो शून्य का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट गणितज्ञ के साथ-साथ खगोल शास्त्री भी थे। उन्होंने ने सबसे पहले अपनी किताब में गोल धरती का वर्णन किया था और ये भी बताया था कि यह सूर्य के इर्द-गिर्द चक्कर लगाती है।
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