लूडो तो हर किसी ने एक न एक बार जरूर खेला होगा। आज के समय में इसे फोन में भी बड़े आसानी से खेल सकते हैं।
लूडो खेलने के लिए चार लोगों की जरूरत पड़ती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी शुरुआत किस देश में हुई थी? ये जानने के बाद आपको गर्व होगा।
लूडो का मतलब 'आई प्ले' यानी 'मैं खेलता हूं' होता है। ये नाम विदेश से आया है लेकिन इसकी शुरुआत भारत में हुई थी।
पहले इसे पच्चीसी नाम से जाना जाता था जिसकी शुरुआत छठी शताब्दी में हुई थी।
भारत में इसका सबूत एलोरा की गुफाओं में भी मिलता है जहां आज के लूडो जैसे खेल के चित्र बने हैं।
ये खेल महाभारत काल से है जब कौरवों ने पांडवों के साथ खेला था। उस काल में इसे चौसर कहा जाता था।
ये खेल मुगल काल में भी काफी प्रचलित था और अकबर के पसंदीदा खेलों में से एक बताया जाता है।
हालांकि, इंग्लैंड ने वर्ष 1896 में लूडो के नाम से इसे पेटेंट करवा लिया और साथ ही पच्चीसी खेल में इस्तेमाल होने वाले पासे को बदलकर एक क्यूब कर दिया जिसे डाइस कहा जाता है।