Feb 16, 2024
हम अपनी आंखों को धूप से बचाने के लिए सनग्लासेस का इस्तेमाल करते हैं। इसे गॉगल्स और शेड्स के नाम से भी जाना जाता है।
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आज के समय में यह एक फैशन एक्सेसरी भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सनग्लासेस का आविष्कार धूप के लिए नहीं किया गया था?
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इसका आविष्कार 12वीं सदी में चीन में हुआ था। इसे धुएं के रंग के क्वार्ट्ज से बनाया गया था।
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ये चश्मा चीन में जजों के लिए बनाया गया था, ताकि जब वे अदालत में गवाहों से पूछताछ करें तो उनकी आंखें, चेहरे के भाव और उनकी भावनाएं गवाहों को दिखाई न दें।
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एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जब ये चश्मा जजों के लिए बनाया गया था तो फिर इन्हें धूप का चश्मा क्यों कहा जाने लगा और इनका सफर यहां तक कैसे पहुंचा?
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दरअसल, 18वीं शताब्दी के आसपास नजर के चश्मे बनाए जाने लगे थे। इसी सदी में जेम्स ऐसकॉफ ने नजर के चश्मों के लेंस को रंगीन बनाना शुरू किया।
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जेम्स ऐसकॉफ को लगा कि लेंस को हरे या नीले रंग में बदकर लगाने से दृष्टि दोषश को ठीक कर सकते हैं।
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हालांकि, जब लोग ये चश्मा पहनकर धूप में निकलते थे, तो उन्हें साफ दिखाई देने लगता था और तभी से इन चश्मों को धीरे-धीरे धूप का चश्मा कहा जाने लगा।
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20वीं सदी आते-आते मॉडर्न चश्मे आने लगे, जो काले रंग के हुआ करते थे। इन्हें हॉलीवुड स्टार्स पहनने लगे। धीरे-धीरे सनग्लासेज़ का क्रेज पूरी दुनिया के सिर चढ़कर बोलने लगा।
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